भजन/भावगीत

शिव वंदना

अनादि भी अनंत भी, असीम है विराट है
शिवे धड़ंग नंग है, भुजंग भी ललाट है

त्रिनेत्र शंभु भाल में, सुभाष भस्म अंग है
किरीट चंद्र है बना, जटा पवित्र गंग है

भगीरथी प्रचंड को, स्वयं शिखा लपेट के
धरा बची चपेट से, धरा नदी समेट के

अघोर है सुनेत्र है, सुनील नीलकंठ है
पिनाक ले खड़ा हुआ, त्रिशूल हस्तकंट है

कपाल काल का लिखा, सखा वही मिटा सका
त्रिकाल काल से परे, कला समस्त जीव का

अभूत भी अपूर्व भी, भविष्य भी वही सखा
अगम्य गम्य काल की, न थाह कोइ पा सका

अकार भी उकार भी, मकार ओमकार भी
निशब्द शून्य भी वही, प्रचंड मेघ रार भी

सजीव निर्जिवे वही, शिवा वही शिवी वही
सखा उसे भजो तुमी, समस्त भूत में वही

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 anant28in@gmail.com