सामाजिक

अपराधियों को दंड मिले

केरल में हुए हथिनी हत्याकांड ने पूरे भारत को ये सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर इंसान में कितनी इंसानियत बची है। देश के सबसे ज्यादा साक्षर राज्य केरल में इस घटना का होना लोगों की मानसिकता को चुनौती देने वाला है। एक गर्भवती हथिनी को अनानास में ज्वलनशील पदार्थ भरकर खिलाना जिससे उसकी मौत हो जाना ये बेहद क्रूरता और नीच मानसिक दशा का उदाहरण है। एक बेजुबान जानवर जो आप पर विश्वास करता है आपने उसके साथ जो बर्बरता की है आखिर इसकी सजा उन सभी दरिंदो को कब मिलेगी।
हम उस देश के वासी है जहां हाथी को अग्रज भगवान श्री गणेश का प्रतिरूप मानकर गजराज को पूजा जाता है और उस देश मे एक गर्भवती हथिनी के साथ ये कांड निःसन्देह हृदय को दहलता है। आखिर हम विचार कर सकते है कि किस तरह मानसिक दशा होगी उन लोगों की जिन्होंने इसका अंजाम दिया।
क्या यह सोची समझी किसी निजी कारण का फल था या फिर अपराधी किस्म की मानसिकता वाले लोगों का मज़े के लिए किया गया परिहास। ह हमारी कानून व्यवस्था को इस कृत्य के लिए उन्हें सजा बल्कि कठोर सजा देनी चाहिए जिससे भविष्य में किसी बदजुबान जानवर के साथ ऐसा कभी न हो। यह घटना ह्र्दय को झकझोर करने वाली है। ऐसे लोग की मानसिकता कुछ भी कर सकती अगर इन्हें सजा नहीं मिली तो भविष्य में शायद इससे भी बुरी और मानवता की हद्द पार करने वाली घटना देखने को मिल सकती। ऐसे दिमाग और अपराधी किस्म के लोग मानवता को न जानते हैं न समझते है क्योंकि ये इस हद्द को पार करके निचता और असुरता की श्रेणी में आते है।
उम्मीद करते है भारतीय कानून व्यवस्था और केरल प्रशासन इन सभी अपराधियों को कठोर दंड देगा।
— शुभम पांडेय गगन

शुभम पांडेय गगन

अयोध्या, फैज़ाबाद