कविता

एक याद भरी पुरवाई 

सूखे पतझड़ सी पीली पड़ गई मेरी  ज़िंदगी के कैनवास पर नीले पीले सुनहरे गाढ़े रंगो की टशर भरना तुम्हारा मेरी गर्विली गरदन को उपहार देता है.!
उदासीन लम्हों में गीत गाती ज़िंदगी का पार्श्व संगीत है तुम्हारी प्रीत.!
मेरी कोरी आँखों के भीतर भले ही दर्द का दरिया बहता है एक नज़र तुम्हारी सौ गिले रंग भरती रचती है बहारों का उत्सव .!
मन की टहनियों पर हिम से शीत एहसासों को तुम्हारी संवेदना की कुनकुनी धूप से शेकती हूँ तब शांत होते निरुद्वेग से स्पंदन खिलखिला उठते है.!
सिरमौर सी चाहत तुम्हारी सुहाती है, भाती है मेरे वजूद पर मोरपंख सी मुस्काती है.!
उदासी एक दास्ताँ सी धीरे-धीरे छूटती है परे होती,
सिर आँखों पर रख लूँ इस उपहार को छुपाकर शब्दों के अनमोल गौहर से सजाकर आत्मा की किताब में संजोकर रख लूँ.!
पतझड़ में बारिश रच देना तुम्हारा एक कली को फूल बना देता है।
— भावना ठाकर

*भावना ठाकर

बेंगलोर