कविता

अनसुलझे

अनसुलझे प्रश्नों में उलझकर,
इसकी उसकी जगह खड़े होकर,
सोचना बड़ा ही अच्छा है ।
शायद! हृदय भी तुम्हारा,
बहुत अच्छा है ।
लेकिन अपने ही आप में,
अपना विश्वास ढूंढ लेना,
सबसे अच्छा है।
अनसुलझे रिश्तों में उलझकर,
रेशम से धागे सुलझा लेना,
बड़ा ही अच्छा है।
शायद! इरादा भी तुम्हारा,
बड़ा ही पक्का है।
किन्तु आत्म चेतना विकसित कर,
नैतिकता और औचित्य को पा लेना,
सबसे अच्छा है।
— ज्योति अग्निहोत्री ‘नित्या’

ज्योति अग्निहोत्री

माता का नाम: श्रीमती अशोक कुमारी चौबे पिता का नाम:श्री एम. लाल चौबे पति का नाम:श्री धीरज अग्निहोत्री स्थाई पता: श्री हरिविष्णुपुरम, महेरा फाटक इटावा, उत्तर प्रदेश फ़ोन नम्बर:8439671659; 9219116003 जन्म तिथि:14 जुलाई 1979 शिक्षा: बी. ए. (प्रतिष्ठा)इतिहास, मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, .एम. ए.(हिन्दी),चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय बी. एड., डॉ. भीमरावअम्बेडकर विश्वविद्यालय पी. जी. डिप्लोमा अनुवाद (हिन्दी-अंग्रेज़ीऔर अंग्रेज़ी-हिन्दी), नॉर्थ कैम्पस, दिल्ली विश्वविद्यालय व्यवसाय: शिक्षक, सहायक अध्यापक, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन विवरण: ऑनलाइन प्रकाशन:स्टोरी मिरर-39 कविताएं; प्रतिलिपि-13 कविताएं एवं 3 लघुकथा साहित्यिक पत्रिका नारी शक्ति सागर: में "भीष्म नहीं तुम कृष्ण बनो" माही संदेश पत्रिका, जयपुर, राजस्थान ;हम हिन्दुस्तानी न्यूयॉर्क अमेरिका से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र; घूँघट की बगावत, गोरखपुर से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र आदि में कई कविताएं प्रकाशित।