संस्मरण

पापा चुप रहते हैं

21 जून 2020, हैपी फ़ादर डे पापा,

आज मुझे मम्मी बने हुए 6 साल 5 महीने पूरे हो गये हैं! ईश्वर से दिन रात एक ही दुआ माँगी थी कि मुझे बेटी हो! आपने तो आने से 2 महीने पहले नाम भी रख दिया था ‘लिली”!आप तो यह भी सोचने लग गए थे कि बेटा हो गया तो पता नहीं में क्या करूँगी?15 जनवरी 2014 को नर्स ने आपको आकर कहा कि लक्ष्मी आयी है तब मुझसे ज़्यादा ख़ुशी आपको हुई पापा!
बचपन से ही आपसे, मम्मी और दादी से इतना प्यार पाया कि कभी कोई कमी महसूस ही नहीं हुई! चार जनों के इस छोटे से परिवार में प्रेम कूट कूटकर भरा हुआ था! दादी ने कभी यह नहीं कहा कि पोती की बजाय पोता होता! आप और मम्मी तो मुझे पाकर निहाल ही हो गये थे! संस्कार और स्नेह से भरपूर इस घर में हमेशा मुझे सुकून रहा! मैं पूरी तरह से तृप्त रही! इसलिए भगवान से भी खुद के लिए बेटी माँगी!
बचपन से ही आपने पापा के साथ साथ भाई,दोस्त,टीचर सबका रोल निभाया!शाम को आपके आफिस से आने के बाद में खिल उठती थी!आपसे पड़ती,खेलती,आपके साथ घूमने जाती,बातें करती और रक्षाबंधन पर राखी बांधती!आपसे हमेशा अनोखा रिश्ता रहा मेरा!बचपन से ही आपसे गहराई से जुड़ी हुई थी!आपने मुझे बचपन से किताबों से प्रेम करना सिखाया!बचपन में चंपक,बलहँस पडते पड़ते आज आपकी हर किताब,मैगज़ीन में लेख,कहानियाँ,उपन्यास पड़ती आ रही हूँ!अब जब आपकी 6 साल की नातिन लिली आपके साथ बेठ कर किताबें पड़ती है,बातें करती है तो में मुझे अपना बचपन याद आ जाता है की कैसे में आपने ऑफ़िस से आने के बाद आपके पीछे पीछे घूमती थी!
बचपन से ही देखा “ पापा चुप रहते हैं”!मैंने कभी आपको ऊँची आवाज़ में बोलते नहीं देखा!आपको हमेशा शांत और संतुलित देखा!तेज माइग्रेन(सिरदर्द) में भी आप किसी से कुछ नहीं कहते,खुद ही उठ कर पानी पी लेते!आपको मैंने कभी कुछ इच्छा व्यक्त करते हुए भी नहीं देखा!आपसे दादी और मम्मी कुछ भी पूछते तो आप बस मुस्कुरा देते!इतना सरल कोई कैसे हो सकता है पापा अब सोचती हूँ!कितना कुछ होगा दिल में आपके,उसका थोड़ा सा हिस्सा आपकी लेखनी में पड़ा!दिल को छू लेने वाली कहानियाँ,कविताएँ,लधकथाए आपके मन की गहराई को कुछ हद तक बयान करने लगी!आपकी पहली किताब “कड़वे सच” से मुझे कुछ पता चला की आपने कितना कुछ सहा हे!और आपकी दूसरी किताब “छलकता गिलास” से पता चला की आप जो लोगों के जीवन में प्रेम बिखेर रहै हैं उससे उनकी आखे छलक उठती हैं तो आपके दिल को कितना सुकून मिलता होगा!
में 17 साल पहले आपकी 17 साल की बेटी बी॰अ॰ फ़र्स्ट एयर में “चित्रकला” विषय लेने के लिए  में आपको और मम्मी को “रावतभाटा” छोड़कर “ उदयपुर” गई!हॉस्टल में 3 महीने ही बीते थे कि आपका फ़ोन आ गया की मम्मी से मिलने आ जाओ!दिल बोहोत डर गया था मेरा!मम्मी को ब्रेन हैमरेज हुआ था!कोटा में अड्मिट थीं!डॉक्टर आपको जवाब दे चुके थे!पर फिर भी आप स्ट्रोंग बने रहे!मुझे कुछ नहीं बताया!बस यही सोचते रहै कि 17 साल की ऐकलोती बेटी को एकेले कैसे सम्भालेंगे!अपने दुःख को भूलकर मुझे सम्भालने के बारे में ही सोचते हुए मम्मी की सेवा में लगे रहे!पर ईश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था!उन्होंने 7 दिन के अंदर ही 14 नोवेम्बर 2003 को मम्मी को अपने पास बुला लिया!आपने मुझे किस तरह सम्भाला इसको शब्दों में लिखना बोहोत कठिन हे!आपके त्याग के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं!आपने वापिस मुझे किसी तरह सम्भाला,हॉस्टल भेजा वापिस व मेरी पी॰अच॰डी॰ तक की शिक्षा पूरी करवाई!खुद अकेले कभी बाई के हाथों का खाना खा कर,कभी टिफ़िन का तो कभी नमकीन-बिस्कुट खा कर ही काम चलते!दादी की ज़िम्मेदारी भी उठाते!आपको अपनो ने भी सहयोग नहीं दिया!तब मुझे यह एहसास हुआ,की जैसे में एकलोती हूँ,आप भी 5 भाई-बहन होते हुए भी एकलोते ही तो हों पापा!हॉस्टल में मम्मी को याद करके जब में टूटने लगती तब आपके पोस्टकार्ड मुझे हिम्मत देते!पूरे हॉस्टल में में फ़ेमस हो गई थी कि मिली की तो रोज़ चिट्ठी आती हे!एक बार बोहोत परेशान थी तब आपने मुझे एक पत्र लिखा “आधा ख़ाली नहीं,आधा भरा कहो” जो” “अहा ज़िंदगी “ में  2005 में छपा!बी॰अ॰ पूरा होने के बाद में हॉस्टल से घर वापिस आ गई!आपकी प्रेरणा से मैंने छुट्टियों में समर कैम्प में छोटे बचों को सिखाना शुरू किया!बच्चों से मुझे खूब प्यार मिलता,तब में मम्मी को खोने का ग़म उन पलो में भूल जाती!मुझे ख़ुश देखकर आपको अच्छा लगता!मेरी इच्छा ड्रॉइंग में ऐम॰अ॰ करने की थी,पर जब में कहने लगी पापा मुझे बाहर जाना पड़ेगा में इंग्लिश लिटरेचर में प्राइवेट कर लेती हूँ!पर आप नहीं माने!आपने मुझे जयपुर चित्रकला से ऐम॰अ॰ करने भेजा!आपने कहा की अभी की पढ़ाई ज़िंदगी भर काम आएगी!प्राइवेट पढ़ाईं तो बाद में भी कर लेना!सिर्फ़ रोटी बनाने के लिए में तुम्हारे सपने टूटने नहीं दूँगा!आप ग्रेट हो पापा!पढ़ाई को लेकर आपने कभी कॉम्प्रॉमायज़ नहीं किया!आप हमेशा से ही बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहैं!परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी होने के साथ साथ आपकी लेखनी भी निखरती गई और 2006 सेप्टेम्बर में आपको राष्ट्र-पति डॉक्टर अ पी जे अब्दुल कलाम जी से केंद्रीय हिन्दी संस्थान दिल्ली की तरफ़ से आत्माराम पुरस्कार मिला! परमाणु बिजलीघर प्लांट की तरफ़ से आप जब गाँवों में बिजलीघर की जानकारी देने जाते तब आपने देखा की गाँव की बेटियाँ कितनी असक्षम हैं!आपने शुरू से ही अपने परिवार वालों,दोस्तों,रिश्तेदारों,के लिए तन,मन,धन और खून दें कर खूब सेवा और मदद की पर आपको सार्थकता इन बेटियों के लिए करडीगन,कॉपी,पेन,सरकारी स्कूल में पंखे आदि दे कर ही मिली होगी!आश्चर्य होता है की आप 58 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं!आप तो अभी भी तैयार हैं पर आपको सेवानिव्रत हुए 12 साल हो चुके हैं!नेत्रदान,देहदान का फ़ेसला भी आप ले चुके हैं!
21 जून 2010 को आपने मुझे अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने दिया और मेरी शादी करवाई!मेरी इस इच्छा का भी मुश्किल से मान रखा की मेरी शादी के बाद आप एकेले नहीं रहैंगे,साथ में रहैंगे!आप मेरे जीवनसाथी “ आनंद” को मना नहीं कर पाए जब आपका टिकट बुक करवा दिया और आपको अपने साथ लेने के लिए आ गये!
आज भी आप पहले से ज़्यादा सक्रिय हैं पापा!हर साल गाँव की बेटियों के लिए अपनी पेन्शन में से 5 प्रतिशत उनकी उच्च शिक्षा के लिए सहायता करते हैं!पूरे रावतभाटा के साथ साथ देश में भी बच्चे आपको “दिलीप अंकल” के नाम से जानते हैं!आपको देखकर मैंने और आनंद ने भी हर साल गाँव के स्कूल में बच्चों के लिए थोड़ा सा करना शुरू किया है!बोहोत सुकून मिलता है इससे पापा!
आपकी प्रेरणा और सहयोग से मैंने 8 मार्च 2011 महिला दिवस पर जयपुर के जवाहर कला केंद्र में “नारी अंतर्मन“ नाम से चित्रकला प्रदर्शनी लगाई उसका प्रोग्राम ई टी वी राजस्थान पर प्रसारित हुआ तो आपको बोहोत ख़ुशी मिली!19 ऑक्टोबर 2013 को जब मेरी राजस्थान विश्वविद्यालय  जयपुर में पी॰ अच ॰दी ॰ की थीसस जमा हुई तब आपकी आँखे ख़ुशी से भीग गई!आपकी दस साल की तपस्या पूरी हुई उस दिन पापा!
आज आप साहित्य और शिक्षा से गहराई से जुड़े हुए हैं ! हर साल उपकार प्रकाशन से आपकी बच्चों के लिए किताब छपती है और देश भर से लाखों बच्चों के फ़ोन आते हैं! तो आपको जीवन में सफल और संतुष्ट पाती हूँ!आपको किसी चीज़ से मोह माया नही है! आपका दिल बोहोत विशाल और नेक है! इतने ऊँचे पद से रेटायअर होने के बाद भी आपका जीवन कितना सादा है पापा! आप इतने सरल हैं!
आपने मुझे बचपन से कभी नहीं डाँटा पापा! मेरी हर गलती माफ़ की! मुझे हमेशा प्यार से समझाया! कितनी सहनशक्ति है आपमें! पर कभी कभी में आपको डाँट भी देती हूँ जब लोग आपके सीधेपन का फ़ायदा उठाते हैं! पर फिर भी आप मेरी बात का बुरा नहीं मानते हो और बस मुसकुरा देते हो पापा! ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ कि आप आज हमारे साथ हैं! आपकी छाँव में में अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हूँ! ’मेरे साथ साथ आनंद भी आपके क्रतज्ञ हैं! आपके संरक्षण में हम तीनो बोहोत सुरक्षित महसूस करते हैं पापा! शादी के 10 साल बाद भी हमारे संघर्ष ख़त्म नहीं हुआ है पापा! आनंद ने किसी कारणवश सरकारी नोकरी छोड़ी, मेरी आँखों में भी आजीवन रहने वाली केरटोकोनस डिज़ीज़ से आप अंदर से बोहोत दुखी हैं,पर पूरा सहयोग आप ही कर रहै हैं बस पूरी दुनिया में एक! एक आप ही हैं जो इस मुश्किल में हमारे साथ हैं! आप कितना विश्वास करते हैं मुझपर!सारी ज़िम्मेदारी आप मुझे मेरी शादी होते ही सौंप चुके हैं!
आपकी नातिन लिली भी आपको दिलीप अंकल बोलती है! वो बस अपने नानू जैसी बने यही मेरी इच्छा है पापा! आपके शहद चटाने का थोड़ा भी असर हो जाए तो भी आपकी तरह सफल जीवन जिएगी वो! आपका साथ और आशीर्वाद सदैव मिलता रहै पापा! 6 साल की लिली जब कहती है कि घर में सबसे अच्छे नानाजी हैं क्योंकि वो बच्चों को टाइम देते हैं और अपना सारा काम टाइम से कर लेते हैं! आपने संस्कार लिली में अभी से ही देखकर मुझे बोहोत अच्छा लगता है पापा!
आपको धन्यवाद देने के लिए अब मेरे पास शब्द नहीं हैं पापा! बोहोत सारा प्यार! अपने पापा के साथ साथ मम्मी का भी रोल निभाया पापा 17 साल से ! साथ रहकर भी कुछ बातें बोली नहीं जाती इसलिए इस पत्र के माध्यम से दिल की कुछ बातें लिखी हैं आपको! हैपी फ़ाधर डे वर्ल्ड के बेस्ट पापा द ग्रेट!
आपकी बेटी डॉक्टर मिली!

— डॉ मिली भाटिया आर्टिस्ट

डॉ. मिली भाटिया आर्टिस्ट

रावतभाटा, राजस्थान मो. 9414940513