कविता

श्रमिक

सींच पसीने से खेतों को,
उदर जगत का वह भरता
विडंबना देखो यह कैसी
भूखे पेट वही मरता

नींव भवन की रखते रखते
हुआ नींव सा अनदेखा
कंगूरा छाती चढ़ बैठा
है विधि की ऐसी रेखा
सड़क बनाने वाला कर्मठ
शयन सड़क पर ही करता
विडंबना देखो यह कैसी
भूखे पेट वही मरता

दुनिया की सारी गति उससे
गति उसकी पर बड़ी बुरी
राष्ट्र धुरी का निर्माता वह
किंतु श्रमिक की नहीं धुरी
शीत ठिठुरता वर्षा भीगा
गर्मी स्वेद बिंदु झरता
विडंबना देखो यह कैसी
भूखे पेट वही मरता

— अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 anant28in@gmail.com