गीतिका/ग़ज़ल

संवाद होना चाहिए

“संवाद होना चाहिए”
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देश पर मेरे नहीं अपवाद होना चाहिये |
देश मेरा हर तरह आबाद होना चाहिये |
रोग के डर से घरों में कैद हो हम रह गये,
जीतने की युक्ति कर आज़ाद होना चाहिये |
छोड़ जैविक शस्त्र दुनिया पर खड़ा इतरा रहा,
मुल्क वो दुनिया में अब बर्बाद होना चाहिये |
देश जिससे हो सबल वह यत्न करने हैं हमें,
इस लिए मिल बैठ कर #संवाद_होना_चाहिये |
बैर अपनो से भुला कर प्रेम का दरिया बहा,
आपसी रिश्तों में मधुरिम स्वाद होना चाहिये |
आत्म बल से जीत कर हर जंग हम दिखलाएंगे,
जीत के हित हौंसला उन्माद होना चाहिये |
वाद हो प्रतिवाद हो संवाद हो हर मोड़ पर,
पर दिलों में प्रेम और आह्लाद होना चाहिये |
है विषमता की लहर पर देश मेरा एक है,
विश्व में जय हिंद का प्रह्लाद होना चाहिये |
हो मृदुलता हर तरफ सद्भावना फलती रहे,
हर गली में जश्न का रूदाद होना चाहिये |
सत्य संग संकल्प दृढ़ हो तो कभी डरना नहीं,
हों मुसीबत लाख मन फौलाद होना चाहिये |
भावनाएँ मिट न जाएँ इस लिये कहती ‘मृदुल’-
छल कपट पर इस लिये प्रतिवाद होना चाहिये |
दूर हो जिससे हो बुराई वाद होना चाहिये |
धर्म रत निष्पक्ष हर #संवाद_होना_चाहिये |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ
मौलिक रचना

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016