गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जिनकी राहों में पलके बिछाये है हम
सारी गजलों में उनको ही गाये है हम
उनकी तस्वीर की कुछ जरूरत नही
उनको ह्रदय में अपने छिपाये है हम
शायद कपड़े सुखाने को आएगी वो
छत पे सुबहा से नजरें गढ़ाये है हम
वो प्यार से बोलेगी प्यारे ढाई आखर
आश ये ही तो दिल मे लगाये है हम
आँखो में सांसो में धड़कनों में वो ही
हर जगह सिर्फ उसको बसाये है हम
उनकी राहों में अंधियारे न आने पाये
इसलिए मीत खुद को जलाये है हम
है ऋषभ अदना जुगनू वो है चाँद सा
बस तभी प्यार दिल मे दबाये है हम
— ऋषभ तोमर

ऋषभ तोमर

अम्बाह मुरैना