कविता

हरियाली फैलायें

चलो चले जी हम सब मिलकर,
वसुंधरा पर हरियाली फैलाते हैं।
हर गांव,हर खेत-खलिहान में,
मिल-जुलकर पेड़-पौधे लगाते हैं।
खेतों लगाएंगे फलों के बगीचे,
घर-घर को फूलों से महकाते हैं।
सड़कों को छायादार पौधे से,
कार्यालयों को फूलों से सजाते हैं।
घर आंगन हो तुलसी पुदीना,
छत-मुंडेर पर एलोवेरा उगाते हैं।
दादाजी लगाए थे आम के पौधे,
जिसे बच्चे तोड़-तोड़कर खाते हैं।
दादी लगाई थीं आंवला के पौधे,
हम आज आचार-मुरब्बा खाते हैं।
बाबुजी लगाए कई बरगद-पीपल,
जिनके नीचे बैठ राहगीर सुस्ताते हैं।
माताजी लगाईं आंगन में तुलसी,
आगंतुक को तुलसी चाय पिलाते हैं।
बहन लगाई है कई मेहंदी-एलोवेरा,
मां-बहनों को सजने के काम आते हैं।
भईया लगाये हैं कई पेड़ नीम-बबूल ,
जिससे हम सब दांतो को चमकाते हैं।
मैंने लगाया है कई अमरूद व नींबू,
जिसे बांट-बांट कर हमलोग खाते हैं।
बच्चे लगाएं रंग-बिरंगे फूल के पौधे,
जिससे गुलदस्ता और माला बनाते हैं।
चलो चलें जी हम सब मिलकर
वसुंधरा पर हरियाली फैलाते हैं।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433