लेख

अवसाद किसने चुना

अकेलापन किसने चुना

अकेलापन आज के समय की गम्भीर बीमारी बन गया है । दो में से एक व्यक्ति अकेलेपन का शिकार है जिसमे युवा वर्ग की संख्या ज्यादा है उसके बाद बच्चे है । बुजुर्ग इसके शिकार कम होते ।
इसका मतलब यह नही कि वो अकेलेपन का शिकार नही वो अपनों के बीच अकेलेपन के शिकार है ।
कभी जानने की कोशिश हुई क्या कि क्यों कोई इतना ज्यादा अकेलेपन का शिकार हो रहा है ??
नहीं किसी ने भी कारण नही जानना चाहा क्योंकि आधुनिक चमक , आगे बढ़ने की होड़ में हम जब खुद को ही भूल गए तो अवसाद का कारण कैसे समझ पाएंगे ।
युवा वर्ग आजकल पैसे कमाने, अच्छा जीवन जीने, हर सुविधा जुटाने में घर को छोड़ बड़े शहरों का रुख करते है । वहाँ वो इन्ही सुविधाओं के लिए सिर्फ एक मशीन बन रह जाते है । उनको पैसा कामयाबी यही नज़र आती है जिसके लिए वो दिन रात काम करते है । इस समय मे वो घर परिवार माता पिता को भी भूल जाते है । एक समय आता है जब उनके पास वो सब होता है जिसकी चाहत उनको होती थी लेकिन उस समय उनके पास एक चीज़ ओर होती है जिसको कहते है ” अकेलापन ” । कामयाबी मिलने के बाद उनके पास समय होता है तब वो चाहते है किसी अपने का साथ मन की कहने सुनने के लिए तब उनके पास कोई नहीं होता तब वो लोग या तो गलत राह पर चलने लगते है या धीरे धीरे अवसाद का शिकार होते है और परिमाण स्वरूप “आत्महत्या “।।
बच्चों की बात करे तो उनको हमने ही आधुनिकता, दिखावे के कारण कच्ची उम्र में ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरण देने लग गए । वो लोग उम्र से पहले बड़े और परिपक्व हो रहे है । मोबाइल पर गेम खेलने की लत इस कदर बढ़ गई है कि जब वो कोई गेम हारते है तब फोन फेंकते है नही तो खुद को कमरे में बंद कर लेते है या आत्महत्या करते है क्यो ??
इनकी सहन शक्ति खत्म हो रही है । हमारी सोसायटी में बच्चे सुरक्षित नहीं है । माता पिता को समय नही बच्चों के लिए ।
इन्ही कारणों से हमारे बुजुर्ग भी अपनो के बीच मे अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं क्योंकि उनके बच्चों को कमाने से समय नहीं मिलता बच्चों की सुरक्षा के कारण उनको बाहर नही ले जा सकते तो वो लोग उनके कमरे में बंद रहते है कोई बात करने वाला नही , उनके उम्र के लोगो का साथ नही ।।।
इन सब बातों के जिम्मेदार हम सभी है तो इसका उपाय सभी को मिलकर निकलना होगा समाज के नवनिर्माण के लिए ।।
हमको पैसे के साथ अपनों का साथ भी चाहिए । इसके लिए पूरे परिवार को साथ बैठ कर समय व्यतीत करना होगा । आपस में मित्रता करनी होगी । एक दूसरे के सुख दुख बांटने होंगे । हर परिस्थिति का सामना करना होगा हिम्मत से समझदारी से तभी अवसाद से सभी दूर रहेंगे ।।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।