कविता

एक गांडीव

गाण्डीव    धरा,  अर्जुन    चला  ,  रथ    पर   हो   सवार  ,
अश्वमेध   का   घोड़ा   आगे ,  पीछे    में  सैनिक   हजार  ।
विजयी – विजयी  की  नाद , बात  बहुत – ही  पुरातन  थी ,
घोड़ा  हिन्  – हिन्  कर  ठहरा , चम्पकपुरी भी पुरातन थी ।
अर्जुन  के  रथ  पर अर्जुन  केवल, न मातालि, न  कृष्ण था ,
सारथी अलग थे अलग – वलग , न   काली  ,  न   वृष्ण था ।
सामने  अड़े  थे – एक  छोरे  ,  छट्टलवन  के  अभिमन्यु  थे  ,
तब   कुश-जैसे  राम  के  आगे , वीर-बाँकुरे क्रांतिमन्यु   थे  ।
सुधन्वा  –  नाम      कहलाता ,   दिया     परिचय     उन्होंने  ,
सारथी  कृष्णचन्द्र  को  बुला ,  कहा  पुनः  –  पुनः   उन्होंने ।
अर्जुन  सोच  रहा  –    जन्मे  आगे  मेरे , मेढक-सा  टर्राटा  है,
छोटी  मुँह  से  बड़ी  बात   कह , परदिल  को  घबराता   है ।
आत्म – स्मरण , कृष्ण – समर्पण, कर छोड़ा एक तीक्ष्ण वाण,
धराशायी   हो, कृष्ण  दर्शन कर , निकल  सुधन्वा  का  प्राण ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.