गीत/नवगीत

मधुर स्मृति

आज मैं तुम्हें न पा सका,
इसलिए न गीत गा सका।
बहार फूल तो खिले मगर,
मिले उसे भ्रमर न हो‌ अगर,
तो आश क्या कि फूल की उमर,
हंसे नियति हिलोर में लहर।

जोहता रहा तुम्हे सदा,
उठी कसक न मैं भगा सका।

लगी आज टकटकी उधर,
चली गई थी रूठकर जिधर
हुआ हताश आज मैं मगर,
रहे न याद प्यार के प्रहर,

‌ रही सदा सुदूर प्राण, तुम
इसीलिए तुम्हें न पा सका।

पी रही हैं जिन्दगी जहर,
घिर रही है वेदना घहर,
कट रही है व्यर्थ ही उमर,
निराश दीप जल रहा लहर,

कुविघ्न पर कुविघ्न झेलता,
पुकारता तुम्हें न पा सका।।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171