लघुकथा

तिनकों की चुभन

उसकी प्रिय पत्रिका सुबह सुबह डाक से आ गई थी , स्वरचित लघुकथा को भी स्थान मिला था ,समीक्षक के विचार पढ़ने लगी  होठों पर मंद मंद मुस्कान तैरने लगे,  पलंग के दूसरे किनारे पर सत्या भी अखबार पढ़ रहे थे ,उन्होंने एक कप चाय की फरमाइश की । सुगंधा के मुंह से बस इतना ही निकला–“दो मिनट..” इतना सुनते ही सत्या आपे से बाहर हो पैर पटकते हुए बाहर निकल गये। 

बिना जरूरत क्रोटन को काट-छांट करने लगे । बेजूबान पौधों की पीड़ा देखकर भी उसने चुप्पी साध ली । ऐसा लग रहा था , मानों उसकी गलतियों की सजा उसके बच्चों को मिल रही है ।

अक्सर घरेलु कार्यों से वक्त निकाल कर गमले में रंगबिरंगे फूलों के साथ साथ खूबसूरत पौधों की देखभाल करना सुगंधा का सबसे प्रिय शौक था । क्रोटन की दस से ऊपर प्रजातियों को गमले में उसने सजाया था कितने प्यारे रंग होते हैं, मानों इन्द्रधनुष पौधों से आँख मिचौली  कर रहा हो ।

 अचानक चिड़ियों का शोर सुनकर वह  लॉन की ओर भागी– “अरे ! प्लीज उस क्रोटन को मत काटिये, उसमें मैना का घोंसला है ।”

“हूँहहह… समझदार तुम हो, हमें कहाँ कुछ नज़र आता है ! सारे मानवीय गुण सेंस ऑफ ह्यूमर तो सिर्फ तेरे पास है ?”

“जी बिल्कुल सही कहा आपने ; काश बने बनाये घोंसले को उजाड़ने से पहले तनिक सोचते ।”  घोंसला टूटने से पहले सुगंधा के बाहों के घेरे में !  गज़ब का सेंस ऑफ ह्युमर ! 

सुगंधा से नज़रें टकराई …कैंची छूटकर हाथों से दूर जा गिरा ।  सत्या नजरें नीची किये वापस लौट गये । तिनकों की चुभन  का अहसास पहली बार महसूस हुआ असहनीय …फिर भी होठ सिले थे ।

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com