लघुकथा

ईश्वर के घर माँ के नाम एक पत्र

माँ………दुनिया की सबसे अच्छी माँ…..

माँ काश आज तुम साथ होतीं………..
17 साल पहले अपनी 17 साल की इकलोती बेटी को तुम ईश्वर के पास छोड़कर चलीं गईं….काश ईश्वर के घर फ़ोन होता तो में तुमसे एक आख़िरी बार बात कर पाती…काश तुम्हें ये बता पाती की तुम्हारे बिना में कितनी अकेली हूँ….तुम्हारा डाँटना.. तुम्हारा अथाह प्यार याद आता हे हमेशा….पर तुम चिंता मत करना माँ…पापा ने 17 वर्ष से तुम्हारी कमी महसूस न हो उसके लिए बोहोत तपस्या की हे!काश तुम आज होतीं तो आँखो से आँसू कभी नहीं निकलते,कभी दर्द से डर नहीं लगता!!आज तुम्हारी 6 साल की नातिन लिली पूछती हे कि भगवानजी को में बोलूँगी तो नानी वापिस आ जयेंगी क्या….तुम्हारे हाथ का खाना…तुम्हारे हाथ के आचार पापड़ सबकुछ माँ…स्वाद अभी भी मेहसूस करती हूँ में माँ…तुम्हारी मेरे लिए हर पल चिंता मुझे बोहोत याद आता हे माँ…..तुम्हारी जगह तो भगवान भी नहीं ले सकते माँ…आप जहां भी हो माँ वहाँ से मुझे देखतीं होंगी ना…में आपको अपने साथ हमेशा महसूस करती हूँ…अपना आशीर्वाद मुझपर बनाए रखना माँ और मेरी चिंता मत करना…में ठीक हूँ माँ…..
आपकी बेटी डा मिली!!!
— डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट 

डॉ. मिली भाटिया आर्टिस्ट

रावतभाटा, राजस्थान मो. 9414940513