ब्लॉग/परिचर्चा

विस्तृत ज्ञान के भंडार सुदर्शन भाई: जन्मदिन की बधाई

शीर्षक ने ही आपको बता दिया, कि आज 27 जून को हम सुदर्शन भाई को जन्मदिन की बधाई देने वाले हैं और आज हम सुदर्शन भाई के विस्तृत ज्ञान के भंडार की बातें करने वाले हैं, जो हम संक्षेप में करेंगे. संक्षेप में क्यों, वह सब बाद में, सबसे पहले हम उनको जन्मदिन की बधाई दे देते हैं, फिर करेंगे संक्षेप में बात उनके विस्तृत ज्ञान के भंडार की.

प्रिय सुदर्शन भाई, गुरमैल भाई द्वारा लिखे हाइकु से हम आपको अत्यंत हर्षपूर्वक जन्मदिन की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं देते हैं.
”मुबारक हो
जन्मदिन की वेला
मंगल मेला.”
सचमुच आज मंगल मेला लगने वाला है. अक्सर गुरमैल भाई कहते हैं कि उन्हें कविता समझ में नहीं आती और लिखनी तो बिलकुल नहीं आती, पर इतिहास गवाह है कि उन्होंने जो हाइकु, क्षणिकाएं, बाल गीत आदि लिखे हैं, वे सदाबहार रचनाएं हैं. नियमों से अनुशासित उनका यह छोटा-सा हाइकु अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है और खुद में एक सम्पूर्ण कविता भी है, बधाई भी और शुभकामना भी.

हमने कहा था ”संक्षेप में बात उनके विस्तृत ज्ञान के भंडार की.” संक्षेप में इसलिए कि सुदर्शन भाई विस्तृत ज्ञान का भंडार इतना अकूत है, कि उसका बखान करने के लिए ब्लॉग्स का एक पहाड़ खड़ा करना पड़ेगा. इसलिए हम संक्षेप में ही बात करेंगे. एक बात और, सुदर्शन भाई के ज्ञान का भंडार न केवल पर्वत की तरह विस्तृत है, बल्कि सागर के समान गहरा भी है. सुदर्शन भाई चाहे ब्लॉग लिखें या प्रतिक्रिया उनके ज्ञान के भंडार की विस्तृतता और गहराई स्पष्ट दिखाई देती है.

सुदर्शन भाई के अनेक रूपों के दर्शन हम अनेक ब्लॉग्स में कर चुके हैं-
1.वे मनोविज्ञान के चतुर चितेरे तो हैं ही, साहित्यिक भाषा पर उनकी गहरी पकड़ भी है. शब्द उनके इशारे पर नाचते हैं.

2.सुदर्शन भाई दूरदृष्टा हैं. हमने संयोग पर एक ब्लॉग लिखा था. सुदर्शन भाई ने तुरंत लिखा- ”इस पर तो श्रंखला बहुत अच्छी बन सकती है.” सचमुच संयोग पर संयोग के 11 एपिसोड बन गए.

3.सुदर्शन भाई अच्छे कवि-शायर हैं. उनका ब्लॉग लेखन ही ”दरख़्त” कविता से शुरु हुआ. प्रतिक्रियाओं में भी जहां समय और अवसर मिलता है, उनकी कविता-शायरी हरदम हाजिर होती है. अत्यंत व्यस्त रहते हुए भी जब उन्होंने शिशु गीत पर कलम चलाई, तो पलक झपकते ही शानदार-जानदार ”योग से योग (शिशु गीत)” सृजित कर डाला, जो आप योग दिवस पर पढ़ चुके हैं. उनकी कविताएं, बाल गीत, क्षणिकाएं आदि तो आप देख-पढ़ ही चुके हैं.

4.सुदर्शन भाई की कविता के इसी शौक बनाम हुनर से हमारी श्रंखला ”दिलखुश जुगलबंदी” का सृजन हुआ, जिसके 28 एपीसोड आप अब तक पढ़ चुके हैं.

5.हमने सदाबहार काव्यालय- 2 के लिए कविताओं का आह्वान किया तो सबसे पहले सुदर्शन भाई की कविता ”दरख़्त” आई. इसी कविता से ”सदाबहार काव्यालय- 2” का आग़ाज़ हुआ. इसकी ई.बुक भी आप सभी तक पहुंच चुकी है.

6.सुदर्शन भाई खुद तो लेखन में कुशल हैं ही, अन्य लोगों को भी लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इसकी सबसे बड़ी मिसाल है- ”अखिलेश वाणी” जिसके 32 एपिसोड अब तक आ चुके हैं.

7.सुदर्शन भाई अनेक सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के सक्रिय समाज-सेवी हैं. उनके नेत्र कैम्प व रक्तदान कैम्प के बारे में भी आप बहुत कुछ पढ़ चुके हैं.

8.अभी हाल ही में सुदर्शन भाई को दो सम्मान ”अटल रत्न सम्मान- 2020” और ”गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर सम्मान- 2020” मिल चुके हैं. जिनके बारे में आप विस्तार से पढ़ चुके हैं.

9.अपना ब्लॉग में सादर प्रणाम की परम्परा सुदर्शन भाई ने शुरु की. गुरमैल भाई की वरिष्ठता का पता चलते ही उन्होंने उन्हें आदरणीय दादा कहना शुरु किया. तब से सुदर्शन भाई के लिए भी आदरणीय दादा, सादर प्रणाम कहना शुरु हो गया. यानी सुदर्शन भाई सचमुच भारतीय संस्कृति के सच्चे प्रतीक भी हैं और अनुपालक भी.

10.सुदर्शन भाई के ब्लॉग्स में विस्तार भी है, भाव प्रवणता भी और गहराई भी. मातृ दिवस के उपलक्ष में सुदर्शन भाई ने माँ की फोटो लगाकर मात्र दो पंक्तियों का ब्लॉग लिखा-
” माँ के लिए क्या लिखूं,
माँ की ही तो लिखावट हूँ मैं.”
गहराई का आलम देखिए, कि इन दो पंक्तियों ने ही धूम मचा दी.

11.सुदर्शन भाई अनेक भाषाओं के जाने-माने विद्वान हैं. मजे की बात यह है, कि सभी भाषाओं में पूर्णता तक पहुंचे हुए हैं. हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, उर्दू, पंजाबी पर तो उनकी पूरी पकड़ है. एक-एक शब्द व व्याकरण के नियम की बारीकी से वे वाकिफ हैं.

12.सुदर्शन भाई एक अच्छे लेखक के साथ एक अच्छे वक्ता भी हैं. धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं में उनके वक्तव्य को बड़े आदर-सम्मान के साथ देखा-सुना-पढ़ा जाता है. वहां के नारों और श्यामपट्ट पर अनमोल वचन-लेखन का काम सुदर्शन भाई ही संभालते हैं. यहीं हम आपको बताते चलें, कि उनका लेख यानी हस्तलिपि / सुलेख भी सराहनीय है, जिसका श्रेय वे अपने पूजनीय पिताजी को देते हैं. हर काम में पूर्ण इनके पूजनीय पिताजी ने इन्हें पूर्णता और विस्तार तक पहुंचाया.

13.सुदर्शन भाई को पूजनीय पिताजी ने और माताजी ने विद्या को एक बड़ी और कठोर तपस्या मानना सिखाया. इसी तपस्या के प्रतिफल से उनका मूलाधार चक्र जागृत हो गया. आज उनकी वाक-प्रतिभा और लेखन-प्रतिभा संभवतः उसी तपस्या का ही प्रतिफल है.

14.ये और ऐसे सभी तथ्य सुदर्शन भाई के विस्तृत ज्ञान के भंडार के परिचायक हैं. और अधिक विस्तार से पढ़ने के लिए आप ब्लॉग ”फिर सदाबहार काव्यालय- 1” के परिचय में देख सकते हैं. इतना विस्तृत परिचय, वह भी संक्षिप्त! हमारे पास अब तक और किसी का नहीं आया. इसी परिचय से ज्ञात होता है कि सुदर्शन भाई के ज्ञान का भंडार इतना विस्तृत कैसे हुआ. अब भी वे बड़े-बड़े प्रोजैक्ट्स में जुटे हुए हैं.

बाहुबली (लघुकथा) की प्रतिक्रिया में दृष्टिबाधित होते हुए भी अवसाद के अंधकार से बाहर निकलने के बारे में उन्होंने डॉ. इन्द्र चन्द्र शास्त्री की मिसाल देते हुए लिखा-
”स्वर्गीय डॉ. इन्द्र चन्द्र शास्त्री, दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के स्नातकोत्तर अध्ययन संस्थान के विभागाध्यक्ष अभूतपूर्व विद्वान और दार्शनिक रहे। अर्ध शताब्दी से अधिक की साहित्यिक यात्रा में उन्होंने धर्म, दर्शन, संस्कृति, काव्य, जैन साहित्य, व्याकरण आदि पर अनेक लेख लिखे। वे संस्कृत, पाली, प्राकृत, मगधी, अर्ध-मगधी तथा हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान थे। जीवन के अन्तिम 26 वर्षों में नेत्र ज्योति चली जाने के बावजूद उन्होंने सहायकों की मदद से 70 अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रंथ और लगभग 400 शोध पत्र लिखे। भारत सरकार द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी विद्वान पर प्रथम डाक टिकट जारी किया गया जो राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान है। जो दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ ही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जैन समाज और आर्य समाज जिनसे डाॅ. शास्त्री का अपने जीवन काल में सम्बन्ध रहा, के लिए भी अत्यन्त गौरव की बात है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पास शक्तिनगर की एक सड़क का नामकरण डॉ. इन्द्र चन्द्र शास्त्री के नाम है।”

इसी तरह ब्लॉग समाधान (लघुकथा) की प्रतिक्रिया में सुदर्शन भाई ने ”आदरणीय दादा गुरमैल जी” और ”सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग” के बारे में विस्तार से लिखा है.

पुनः आदेश बिंदु (लघुकथा) की प्रतिक्रिया में संबंधित विषय पर विस्तार का अंदाज़ देखिए-
”पुनः आदेश बिंदु – एक अत्यंत महत्वपूर्ण रचना – उदहारण माकूल – इसी सिद्धांत पर मोटर वाहनों में ईंधन समाप्त होने से पूर्व रिज़र्व संकेतक होता है अर्थात ईंधन पुनः भरवा लें, दवाई विक्रेता भी दवाई समाप्त होने से पूर्व ही पुनः आदेश दे देते हैं, परीक्षाओं में समय समाप्त होने से 15 मिनट पूर्व संकेत दे दिया जाता है, मिलों में काम करने वाले मज़दूरों को आधी और पूरी छुट्टी से 15 मिनट पूर्व सायरन बजा कर संकेत दे दे दिया जाता है, पर चूँकि गृहिणी के पास ऐसा कोई संकेत नहीं होता यह उसकी बुद्धिमत्ता और कौशल पर निर्भर करता है. कुशल गृहिणी इस तरह के तरीके निकाल लेती है और अंतिम समय की मुसीबतों से बच जाती है. आपकी यह लघुकथा गृहिणियों के साथ साथ अन्य सभी के लिए लाभदायक है. क्रिकेट मैच में भी पीछा करते समय रिवर्स काउंटिंग और बची हुई गेंदें और विकेट्स इसी पर सफलता दिला सकती हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी घड़ियों को 15 मिनट या अपनी सुविधानुसार आगे रखते हैं और जानते हुए भी उन्हें सुविधा रहती है, क्योंकि 15 मिनट पूर्व उन्हें मालूम पड़ जाता है, सड़कों पर लगी यातायात बत्तियों में टाइमर लगे होते हैं जिससे लोग इंजन बंद कर ईंधन की बचत कर सकते हैं. शानदार विषय के लिए हार्दिक आभार.”

सतरंगी समाचार कुञ्ज-24 की यह बेमिसाल प्रतिक्रिया!
”तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे, तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे – ए आर रहमान का गीत सुनने का आनंद आ रहा था कि एक और सतरंगी खिल गया – सतरंगी समाचार कुञ्ज-24 – दिन रात के चौबीसों घंटों के अद्भुत समाचार प्रस्तुत करती आदरणीय दीदी सादर नमस्कार. समाचारों का एक शानदार डिपार्टमेंटल स्टोर जहाँ आप सतर्कता के नियम जान सकते हैं, कोरोना से सावधान रहने पर स्पष्टीकरण के रैक्स भी हैं तो मनोरंजक समाचारों के पैकेट्स भी हैं, कारनामों भरे समाचार भी हैं तो चेतावनी भी है . और सब कुछ बिलकुल मुफ्त. बस लॉग इन कीजिये और देखिये.”
इसी तरह ”यादों के झरोखे से- 21;; से उन्हें 21 तोपों की सलामी और न जाने क्या-क्या याद आ गया! अद्भुत है विस्तार की यह कला!

हमारे लगभग हर ब्लॉग की प्रतिक्रिया में सुदर्शन भाई के विस्तृत ज्ञान के भंडार और एक नए रूपक के दर्शन होते हैं. टंकण और टाइपिंग के सही तरीके पर उनकी विस्तृत प्रतिक्रिया लाजवाब थी. उनके ब्लॉग तो हैं ही उत्कृष्ट और विस्तृत ज्ञान के भंडार.

इस विषय को हम ”300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई” और ”333वें ब्लॉग की बधाई: अंकों के जादूगर सुदर्शन भाई” में भलीभांति विस्तारित कर चुके हैं. अब उसके आगे की कथा-

ब्लॉग ”कबाड़ी वाला”
ब्लॉग ”कबाड़ी वाला” सुदर्शन भाई का 333वां ब्लॉग था. ”कबाड़ी वाला” ब्लॉग इतना शानदार-जानदार हो सकता है, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था. मनोविज्ञान का इतना विस्तार अकल्पनीय है. इस ब्लॉग के बारे में हमने लिखा था-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, क्या ब्लॉग लिखा है! कबाड़ी वाले पर भी इतना खूबसूरत-अद्भुत ब्लॉग लिखा जा सकता है, कल्पना करना भी मुश्किल है और आपने तो अकल्पनीय को भी सिद्ध करके दिखा दिया. कबाड़ी वाले का मनोविज्ञान, महिला का मनोविज्ञान, बच्चों का मनोविज्ञान, लेखक का मनोविज्ञान, मास्टर जी का मनोविज्ञान यानी मनोविज्ञान-ही-मनोविज्ञान. हर जगह नफा, कहीं घाटे का सौदा नहीं! कबाड़ भी निकल जाए और कबाड़ी वाले का काम भी चलता जाए. क्या बात है! अंत में- मास्टर जी के कथन ‘कमल के फूलों का महत्व नहीं समझते, कीचड़ को लेकर कीचड़ उछालते रहते हैं। गुलाब के फूलों की सुगन्ध लेने के बजाय कांटों को कोसते रहते हैं। इसीलिए कबाड़ी में बिकी इन किताबों को देखकर मैंने कहा हम संस्कार-विहीन होते जा रहे हैं’ ने तो कलेजा ही निकालकर रख दिया! अत्यंत साहित्यिक, सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

फिर एक ब्लॉग आया ”शिशुपाल”. इस ब्लॉग में समन्वय का विस्तार दिखाई दिया. इस ब्लॉग के बारे में हमारी प्रतिक्रिया थी-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, समन्वय करना तो कोई आपसे सीखे! एक बच्चे को समझाने के लिए शिशुपाल के किस्से के साथ समन्वय किया, वह भी अद्भुत! ‘लो संभालो अपने शिशुपाल को….’ क्रोध से तमतमाती दादी मां पोते का हाथ पकड़े उसे घसीटते हुए कमरे में दनदनाती हुई आईं।” से शुरु हुई कथा ”दादी-मां ने प्रेम से दुरकेश कुमार के सिर पर हाथ फेरा और आशीर्वाद दिया। माता-पिता के चेहरे पर भी मुस्कान थी।” बीच की मुरकियां कमाल करती लगीं. माता-पिता का अपने लाल की बुराई न सुन पाने का मनोविज्ञान तो अपनी जगह है ही, लेकिन पिता ने कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. मामला सीधे अपने हाथ में ले लिया. ‘बताता है कि नहीं, एक लापड़ा दूंगा’ कहते हुए अपना भारी-भरकम हाथ उठाया। क्या ब्लॉग लिखा है! चित्र भी गज़ब है. अत्यंत साहित्यिक, सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

ब्लॉग ”कटे हाथ”
इस ब्लॉग में व्यावहारिकता का विस्तार देखने को मिला. ब्लॉग देखते ही हमारी प्रतिक्रिया थी-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, क्या गज़ब का ब्लॉग लिखते हैं आप! अनेक मनोवैज्ञानिक मोड़ मुड़कर, अनेक व्यावहारिक बातें बताते हुए, अचानक से बात कटे हाथ पर आकर चरम सीमा को छू लेती है. किसी को ये कटे हाथ दिखते ही नहीं, कोई इन कटे हाथों का सहारा बन जाता है, कोई इस घटना को याद कर बिन बादल बरसात बरसाता है, छम-छम आंसू बहाता है. मास्क तो लगाना ही है, भले ही हाथ कटे हुए हों सब जगह धांधलेबाजी चल जाती है, कोरोना के पास भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है. अत्यंत साहित्यिक, सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

ब्लॉग ”रामायण टीवी सीरियल बनने की कहानी-2”
इस ब्लॉग में सुदर्शन भाई के शोध का विस्तार देखने को मिला. यों तो सुदर्शन भाई का हर ब्लॉग शोध से सराबोर होता है. एक-एक शब्द में, एक-एक वाक्य में उनका सूक्ष्म पर्यवेक्षण परिलक्षित होता है, पर इस ब्लॉग के लिए सुदर्शन भाई ने बहुत शोध किया था, ऐसा उन्होंने बताया है. इसी शोध का परिणाम है- यह अद्भुत ब्लॉग, जो अपने में एक अद्भुत इतिहास समेटे हुए है और इतिहास का अद्भुत हिस्सा बन गया है.

”सोलह आने सच” श्रंखला की तो हर कड़ी खुद में एक मिसाल है. इस श्रंखला की हर कड़ी जीवन को सुखमय और सुंदर-सुरम्य बनाने का खूबसूरत प्रयास है. इसकी विशेषता है- अंत्याक्षरी का मजा देती अति मधुर-मनोहर अखिलेश वाणी. हर पैरा के आखिरी शब्द से शुरु होता है उसका अगला पैरा. है पैराग्राफ में जीवन की एक बेमिलाल युक्ति. यहां युक्तियों का विस्तार देखने को मिलता है.

इसी के साथ हम ब्लॉग को विराम देने का उपक्रम करते हैं. हम जानते हैं, कि अनेक बातें अनकही रह गई हैं, वह इसलिए भी कि आपको भी प्रतिक्रियाओं में बहुत कुछ कहना होगा.

चलते-चलते सुदर्शन भाई को एक बार फिर जन्मदिन की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं. सुदर्शन भाई, आपके जन्मदिन पर हमारी तरफ से एक भावगीत-

तेरे जन्मदिवस की शुभ वेला आई है

मेरे मSन की कली-कली मुस्काई है-तेरे जन्मदिवस की—————————

सुदर्शन भाई पर लीला तिवानी के कुछ ब्लॉग्स
300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई
विशेषज्ञ सुदर्शन भाई: जन्मदिन की बधाई
मनोविज्ञान के चतुर चितेरे: सुदर्शन खन्ना
संयोग पर संयोग-5
चमकता सितारा (लघुकथा)
उत्साह के फूल
निराले विषयों के निराले युवा लेखक
फिर सदाबहार काव्यालय-1
दिलखुश जुगलबंदी
दिलखुश जुगलबंदी-1
दिलखुश जुगलबंदी-2
333वें ब्लॉग की बधाई: अंकों के जादूगर सुदर्शन भाई
संयोग पर संयोग-2

फिर सदाबहार काव्यालय- 1

आज बस इतना ही, शेष बातें कामेंट्स में हमारे पाठक और कामेंटेटर्स की जुबानी.
सुदर्शन भाई का ब्लॉग-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/sudershan-navyug/

जय विजय में सुदर्शन भाई का ब्लॉग-
https://jayvijay.co/author/sudarshankhanna/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विस्तृत ज्ञान के भंडार सुदर्शन भाई: जन्मदिन की बधाई

  • लीला तिवानी

    विस्तृत ज्ञान के भंडार सुदर्शन भाई,
    जन्मदिन की बधाई स्वीकारें,
    सूरज-चंदा खुद आकर आपकी आरती उतारें,
    सुख-समृद्धि-स्वास्थ्य का उपहार मिले आपको सबसे,
    खुशियां पाने के लिए समस्त खुशियां प्रेम से आपकी ओर निहारें.
    ;लीला तिवानी

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