पर्यावरण

ग्लोबल वार्मिंग और आकाशीय बिजली का अन्तर्सम्बन्ध

         अभी हाल ही में अमेरिका की ‘साइंस ‘ मैगजीन में आकाशीय बिजली के बारे में एक बहुत ही चौंकाने वाली एक शोधपरक रिपोर्ट छपी है,इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर मनुष्यजनित विभिन्न प्रदूषण से उत्पन्न ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इस धरती के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की भी बढोत्तरी होती है,तो इस धरती पर आकाशीय बिजली गिरने की घटना में 12 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी। नई दिल्ली स्थित ‘पृथ्वी मंत्रालय ‘द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 65 वर्षों में ( 1951 से 2015 के बीच ) भारत का वार्षिक औसत अधिकतम तापमान में 0.15 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में 0.13 डिग्री सेल्सियस की बढोत्तरी हुई है। इस तापमान में बढोत्तरी का सीधा संबध आँधी-तूफान आने और आकाशीय बिजली गिरने की अधिकता से है।
       मौसम की पूर्वानुमान जारी करनेवाली प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ‘अर्थ नेटवर्क ‘ व ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के अनुसार ‘भारत में बिजली गिरने की घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि इसलिए हो रही है,क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है कि वह भूमध्य रेखा व हिन्द महासागर से बिल्कुल नजदीक है,जिससे इस पूरे महाद्वीप में भयंकर गर्मी व आर्द्रता अधिक रहती है,जो आँधी-तूफान आने और आकाशीय बिजली गिरने के लिए सबसे जिम्मेदार कारक है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मियों के तुरंत बाद के समय में आने वाली मानसून की बारिश में आँंधी,तूफान और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हुई गर्मी की वजह से सबसे ज्यादे होतीं हैं। आँधी-तूफान की पूर्व सूचना देने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित संस्था ‘अर्थ नेटवर्क ‘ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 में आकाशीय बिजली गिरने की कुल 3करोड़ 22 लाख 38 हजार 667 घटनाएं हुईं। भारत में दुर्घटनाओं से होनेवाली मौतों को दर्ज करनेवाली संस्था ‘एनसीआरबी ‘ के आंकड़ों के अनुसार भारत में औसतन हर साल 2000 लोग आकाशीय बिजली गिरने से असमय मौत के मुँह में चले जाते हैं।
        भारतीय मौसम विभाग के ‘इंडिया लाइटनिंग रिपोर्ट अर्थ नेटवर्क ‘ के अनुसार भारत में सबसे ज्यादे बिजली गिरने की घटनाएं उड़ीसा, पश्चिम बंगाल,मध्यप्रदेश,झारखंड,कर्नाटक व उत्तरप्रदेश आदि पूर्वोत्तर के इन राज्यों की कुछ विशिष्ठ भौगोलिक स्थिति के कारण होती है। भारत सरकार ने आकाशीय बिजली गिरने की पूर्व सूचना देने के लिए ‘दामिनी ‘ नामक एक एप भी जारी किया है,जिस पर मौसम विभाग आगामी प्राकृतिक खतरे को आगाह करते हुए पूर्व अलर्ट भी जारी करता रहता है,परन्तु सुदूर भारतीय गाँवों में इस उपयोगी एप की अभी भी पहुँच ही नहीं हुई है !
     मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आकाशीय बिजली से बचने के लिए कुछ आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं,उनके अनुसार बारिश के दौरान बिजली के खंभों और उनके तारों,हरे पेड़ों और मोबाईल टॉवरों से दूर रहना चाहिए,अगर हम घर से कहीं बाहर फँस गये हैं तो आकाशीय बिजली से बचने के लिए हमें अपने हाथों से दोनों कानों को ढककर दोनों एड़ियों को जोड़कर तुरंत जमीन पर बैठ जाना चाहिए, एक साथ कई व्यक्ति हैं तो एक-दूसरे से दूरी बना लेनी चाहिए, छतरी और सरिया हाथ में बिल्कुल नहीं रखना चाहिए,क्योंकि ऐसी चीजों पर आकाशीय बिजली गिरने की सर्वाधिक सम्भावना होती है, पुवाल या किसी ज्वलशील चीजों की ढेर के पास कभी खड़ा नहीं होना चाहिए,क्योंकि आकाशीय बिजली से इनमें भयंकर आग लगने की सम्भावना होती है। उक्त कुछ सावधानियों को बरतने से हमारा जीवन आकाशीय बिजली जैसी विपदा से सुरक्षित रह सकता है।
— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

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