कविता

तुम्हारी हमजोली बन जाऊंगी बनाम ”साइको किलर”

परमात्मा ने मेरा यानी प्रकृति का
सृजन किया
हर तरह से सजाया-संवारा
खूबसूरत बनाया
फूलों से महकाया
पक्षियों से चहकाया
फलदार वृक्षों से मालामाल किया
देवदार जैसे ऊंचे वृक्षों से खुशहाल किया
उसने जंगल भी विकसित किए
मनुष्य की सुविधा के लिए अनेक जतन किए
मैंने भी तुम्हारे लिए सूखी लकड़ियों को गिराया
तुमने उन्हें बीनकर जलाना शुरु कर दिया
फिर लकड़ियों से फर्नीचर और इमारतें बनाने लगे
तुम्हारा लालच बढ़ता गया
तुमने वृक्षों को काटना शुरु कर दिया
”एक वृक्ष काटकर दस वृक्ष लगाओ” का नारा लगाने वाले ने
दस वृक्ष काटकर एक वृक्ष लगाया
फिर शानदार विज्ञापन का सहारा लेकर
”परोपकारी” का तमगा हासिल कर लिया
वृक्षों को काटना अपराध घोषित हुआ
तो पूरे जंगलों को काटकर आग लगाना शुरु कर दिया
ताकि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी
तुम्हारे गुनाह का सबूत ही न रहे
इसी को ही तुमने अपना रोजगार बना लिया
बेदर्दी से फूलों को कुचलकर इत्र बनाया
हमदर्दी की जगह खुदगर्ज़ी को मित्र बनाया
तुमने पक्षियों को मारकर खाना शुरु कर दिया
यहां तक कि चमगादड़ों को खाना भी नहीं छोड़ा
कोरोना से अपना नाता जोड़ा
कोरोना ने तुम्हें छठी का दूध याद दिला दिया
तुमने फिर भी कोई सबक नहीं लिया
मुझे ही ”साइको किलर” का खिताब थमा दिया
पक्षियों को मारकर खाते रहे
वृक्षों को काटकर जंगलों को जलाते रहे
साथ-साथ ”हमने विकास किया” का राग भी अलापते रहे
तुम्हें पता भी न चला
कि तुम कब और कैसे साइको किलर बनते गए
अब तो तुम्हें मनुष्यों को मारने से भी कोई गुरेज नहीं है
मनुष्यों को मारते रहे
बेगुनाहों को गिरफ्तार करवाते रहे
पर,
कब तक अपना गुनाह छिपाते रहोगे?
कब तक वृक्षों को काटकर मुझे खोखला करते रहोगे?
कब तक पक्षियों को मारकर खाते-बीमार पड़ते रहोगे?
कब तक कीटनाशकों का प्रयोग कर मुझे बरबाद करते रहोगे?
कब तक साइको किलर बनकर
मुझे भी साइको किलर बनने को विवश करते रहोगे?
साइको किलर बनना छोड़ो
मुझसे यानी प्रकृति से स्वस्थ नाता जोड़ो
बरबादियों से मुख मोड़ो
सचमुच मानव बनो
केवल मानवता का नकाब मत ओढ़ो
मैं भी तुम्हारी हमराज बनूंगी
तुम मेरी खुशहाली को बहाल रखने का प्रयास करो
पर्यावरण-संरक्षण करो
प्रदूषण का खतरा कम करो
मेरी ”साइको किलर” की भूमिका स्वतः समाप्त हो जाएगी
फिर से सचमुच वसुंधरा बनकर
मैं तुम्हारा हर दुःख-दर्द समाप्त कर दूंगी
तुम्हारी हमजोली बन जाऊंगी,
तुम्हारी हमजोली बन जाऊंगी,
तुम्हारी हमजोली बन जाऊंगी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “तुम्हारी हमजोली बन जाऊंगी बनाम ”साइको किलर”

  • लीला तिवानी

    इस कविता का सृजन निम्न समाचार से प्रेरणा लेकर हुआ-
    दो भतीजों को मारकर भाई को मारने की तैयारी करने वाला साइको किलर-
    एटा: 2 को मारा, 3 और को मारने की थी तैयारी, हत्या का शौकीन ‘साइको’ किलर रंगे हाथ गिरफ्तार
    उत्तर प्रदेश के एटा में 30 वर्षीय एक शख्स को अपने बड़े भाई की हत्या की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने कथित तौर पर दो नाबालिगों की हत्या भी की है, वह तीन और लोगों की हत्या करने की प्लानिंग कर रहा था। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी ने दावा किया कि उसे लोगों की हत्या करना पसंद है।

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