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महिला काव्य मंच की द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

महिला काव्य मंच (रजि.) उत्तर प्रदेश इकाई के आगरा ज़िले की दूसरी ऑनलाइन काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक 28 जून को संपन्न हुई । गोष्ठी की अध्यक्षता गाज़ियाबाद की श्रीमती अंजू जैन  (प्रेजिडेंट महिला काव्य मंच, पश्चिमी उत्तर प्रदेश) ने किया।  आगरा की वरिष्ठ कवयित्री एवं समाजसेविका श्रीमती शांति नागर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कीं। काव्यगोष्ठी का संयोजन श्रीमती निवेदिता दिनकर, महासचिव, महिला काव्य मंच, आगरा ने किया।
काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए उपाध्यक्षा सविता मिश्रा अक्षजा ने सबसे पहले श्रीमती मीरा परिहार को सरस्वती वंदना के लिए आमंत्रित किया।
सरस्वती वंदना के बाद कार्यक्रम की अध्यक्षा अंजू जैन और मुख्य अतिथि श्रीमती शांति नागर का स्वागत निवेदिता दिनकर ने किया।
श्रीमती नीलम भटनागर, मधु पराशर, सुषमा सिंह, रमा वर्मा, कमला सैनी, प्रेमलता मिश्रा, राजकुमारी चौहान, मीता माथुर, हेमलता सुमन, ममता भारती, यशोधरा यादव,  माला गुप्ता , साधना वैद, सविता मिश्रा ‘अक्षजा’, निवेदिता दिनकर, शांति नागर ने अपनी अपनी कविताएँ पढ़कर काव्य गोष्ठी को ऊँचाई प्रदान करते हुए वाहवाही लूटी।
मुख्य अतिथि श्रीमती अंजू जैन ने बेटी पर कविता सुनाकर वाहवाही लूटी।
काव्यगोष्ठी का समापन धन्यवाद ज्ञापन देते हुए ‘महिला काव्य मंच’ की महासचिव निवेदिता दिनकर ने की । और इस काव्य गोष्ठी का कुशल संचालन उपाध्यक्षा सविता मिश्रा ‘अक्षजा’ ने किया। इस काव्य गोष्ठी की सफलता उपस्थित सदस्यों के परस्पर सहयोग और आत्मीयता के बिना सम्भव नहीं थी। इसके लिए ऑनलाइन काव्यगोष्ठी में उपस्थित सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन और आभार व्यक्त करते हैं।
सविता मिश्रा ‘अक्षजा’

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|