कविता

जीवनपथ…

इस पथ पर बड़ा शोर है
ना गाड़ी है, ना घोड़ा है, पर चलना जरूर है
हारना नहीं, थकना नहीं कुछ भी हो पर रुकना नहीं है
कहता यह पथ है, यही जीवनपथ है।।

अंतिम सांस तक चलना अनंत है
काँटों से भरा यही वो पथ है
संघर्ष ही इस पथ के पथिक है
कहता यही पथ है, यही जीवनपथ है।।

राह नहीं आसान है और ना कोई पड़ाव है
सुख दुःख की केवल यहां आस है
अपने भी हैं यहां और बेगाने भी हैं
पर कोई नहीं तेरे साथ है
कहता यह पथ है, यही जीवनपथ है।।

इस पथ पर पग-पग पर अंगार है
कभी चुभन तो केवल एक तपन है
इसका नहीं कोई विकल्प है
कहता यह पथ है, यही जीवनपथ है।।

अन्तः में एक शोर है
इसका नहीं कोई छोर है
चलना मगर जरूर है
कहता यह पथ है, यही जीवनपथ है।।

प्रो. वन्दना जोशी

प्रोफेसर पत्रकारिता अनुभव -10 वर्ष शैक्षणिक अनुभव- 10 वर्ष शैक्षणिक योग्यता- एम.कॉम., एम.ए. एम.सी., एम.एस. डब्ल्यू., एम.फील.,बी.एड., पी.जी.डी. सी.ए.