इतिहासलेख

शोषित-वंचितों के मसीहा थे ‘कर्पूरी ठाकुर’

सिर्फ पिछड़े वर्ग के नहीं, हर धर्म-जाति में प्रताड़ित शोषित-वंचित लोगों के मसीहा थे- कर्पूरी ठाकुर । बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और जनमानस में छा गए । वे पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर की चीज हो गए, क्योंकि वे मानवता से प्यार करने लगे थे । तभी तो उन्हें ‘जननायक’ कहा जाने लगा था ।

जिसप्रकार आध्यात्मिक क्षेत्र के जननायक गोस्वामी तुलसीदास थे, उसी भाँति सामाजिक विषमता को पाटने को कर्पूरी ठाकुर भी जननायक के रूप में उभरे । इनपर लिखी मेरी भी प्रकाशित कविता प्रसिद्धि लिए है । उनका जन्म भले ही चिह्नित पिछड़ा वर्ग में हुआ था, किन्तु वो सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के बीच भी शोषित-वंचितों के उपास्य थे । वे अंगरेजी से नफ़रत नहीं करते थे, किन्तु हिंदी को हाशिये में डालकर उस अंगरेजी के हिमायती वे कभी नहीं रहे ।

इसी जनवरी माह के 23 तारीख को उनकी जयन्ती है, हालांकि इसी तारीख को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी जयंती है, तथापि आजादी के बाद के इस मसीहा को किसी भी प्रसंग में हाशिये में नहीं रखा जा सकता ! ऐसे में इस  शख्सियत को भारतवंद्य बनाने के लिए उन्हें ‘भारतरत्न’ दिया जाना जरूरी हो गया है ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.