मुक्तक
सुनते रहिये गीत गायकी अपने अपने घर में।
धोते रहिए हाथ हमेशा साबुन अपने घर में।
आना जाना छोड़ कहीं भी धीरज के संग रहिए-
पानी गरम गला तर रखिए हँसिए अपने घर में।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
सुनते रहिये गीत गायकी अपने अपने घर में।
धोते रहिए हाथ हमेशा साबुन अपने घर में।
आना जाना छोड़ कहीं भी धीरज के संग रहिए-
पानी गरम गला तर रखिए हँसिए अपने घर में।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी