ग़ज़ल
आओ शब से पहले पहले।
दिल ये आखिर कुछ तो बहले।
दौलत उनके पास न रुकती,
करते हैं जो नहले दहले।
मन हल्का कुछ हो जायेगा,
मन में जो है सारी कह ले।
गर जाना है मंज़िल तक तो,
रस्ते की हर दिक्कत सह ले।
फालोअर गर सच्चा है तो,
जैसे रखता रहबर रह ले।
— हमीद कानपुरी