कविता

रिमझिम- रिमझिम

रिमझिम- रिमझिम
आओ फूहारो,
मीठे गीत सुनाओं फुहारो।
प्यारी-प्यासी इस धरती पे।
प्रेम का जल बरसाओं फूहारो।।
रिमझिम – रिमझिम
आओं फूहारों।
धान के खेत की आस पुजा दो।
पपीहे-चातक की प्यास बुझा दो।
प्रेमी-मन भीगे संग-संग।
पुलकित सपनों को,
आस बंधा दो।
रिमझिम रिमझिम
आओं फूहारो।।
मिलन के राग,
सुनाओं फूहर।
सा -रे -गा -मा को
सुरों में भरके।
मचले मन में,
तरंग उठाओ।
बचपन भी ,
भूलकर सारे बंधन।
कहों …….आ के
कागज़ की नाव चलाओ।
सबकी आंखों में,
उल्लास बन छा जाओ।
सूखी धरा हरी -भरी  कर जाओ।
रिमझिम -रिमझिम
सावन आओ।।
—  प्रीति शर्मा”असीम”

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com