कविता

सुनसान राहें

पंछियों का कोलाहल
दुबके इंसान घरों में
मुंडेर पर बोलता कौआ
अब मेहमान नही आता
संकेत लग रहे हो जैसे
मानों भ्रम जाल में हो फंसे।
नही बंधे झूले सावन में
पेड़ों पर
उन्मुक्त जीवन बंधन हुआ
अलग अलग हुए
अनमने से विचार
बाहर जाने से पहले
टंगे मन में भय से विचार।
हाथ धुले
मुँह ढकें चेहरे लिए लोग
आँखों से बोल कर
समझाने लगे
लगा यूँ जैसे
इशारों की भाषा ने
लिया हो पुनर्जन्म।
संक्रमण से बनी दशा
दूरियों से होगी कम
और पालन करना होगा
नियमों और दवाइयों का।
लक्ष्य बनाना होगा
क्योंकि
स्वस्थ्य धरा
निरोगी इंसान
बनना और बनाना
इंसानों के हाथों में तो है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच