क्षणिका

क्षणिकाएं

*रंग-रूप*
युवती का
ऐसा खिला रंग-रूप।
जैसे सूरज ने
केशर-दूध में
घोल दिया हो
मुट्ठी भर धूप।
*भूख*
एक था
एक थी
दोनों भूखे थे।
था को मिला तन
थी को मिला धन
दोनों हुए खुश।
*रहमत*
कोरोना काल में
वह बोला सब से
घर से बाहर
कभी रह मत।
क्योंकि
घर में है रहमत।
*मंदी*
कोरोना काल में
कल-कारखानों में बंदी है
झुग्गी-झोपड़ी में
भूख, बेबसी, मंदी है
आसमान में है लिखा
राजनीति बहुत गंदी है।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com