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यादों के झरोखे से- 23

काव्यालय की अविस्मरणीय सैर

December 3, 2017, 4:02 PM IST  in रसलीला | देश-दुनिया

आइए आज आपको काव्यालय की सैर पर ले चलते हैं. आप सोच रहे होंगे, कि हमने सचिवालय, मंत्रालय, पुस्तकालय, वाचनालय तो देखा-जाना-सुना है, इनका अर्थ भी जाना है, अब ये काव्यालय कौन सी जगह हो गई? आप ठीक कह रहे हैं, काव्यालय की सैर भी हो सकती है, यह हमको भी पता नहीं था.

फिर काव्यालय तक हम पहुंचे कैसे? इसकी कहानी भी एकदम अनूठी है. हुआ यह, कि हमें एक लघुकथा लिखने के लिए एक तथ्य की आवश्यकता थी, सो हम अपने ही ब्लॉग टटोल रहे थे. हमने गूगल पर लीला तिवानी का ब्लॉग ‘अभी मैंने शुरुआत ही की है’ लिखकर सर्च किया. लगभग 3 पेज हमारे ब्लॉग्स के आए. फिर एक साइट आ गई- काव्यालय. इस साइट की शुरु की 3-4 पंक्तियों को देखने भर से हमारा पूरा परिचय आ रहा था, जब कि हमने इसमें अपनी कोई रचना नहीं लिखी थी. परिचय लिखा होने का सीधा अर्थ था, कि इसमें ज़रूर हमारी कोई रचना होगी. उत्सुकतावश हमने यह साइट खोली और देखते चले गए.

साइट हमें बहुत अच्छी लगी. अब आपको बता दें, कि इस साइट में क्या है? असल में यह साइट कविताओं का संग्रह है. इसका पूरा नाम और लिंक है-

 

काव्यालय (संग्रह: अनुकना साहा)
http://onlinekavyalay.blogspot.in/2011/

 

यह अनुकना साहा द्वारा संकलित काव्य-संग्रह है. यह संग्रह 2011 में किया गया था. इस संग्रह की सबसे पहली कविता है सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा सृजित सूरज को नहीं डूबने दूंगा. इस संग्रह में भक्तिकाल के कवियों से लेकर अनेक नए-पुराने कवियों की लोकप्रिय कविताएं संकलित हैं, जिनमें से अनेक कविताएं हम-आप अपनी पाठ्यपुस्तकों में पढ़ चुके हैं. अंग्रेज़ी अनुवाद के ऑप्शन पर क्लिक करने से हर कविता का अंग्रेज़ी अनुवाद भी यहां उपलब्ध है. इसके बाद ऐसी ही खूबसूरत, प्रेरक और नायाब अनेक कविताएं हैं. इसी में हमारी एक कविता भी सम्मिलित है, जो Jul 8, 2009 में नभाटा के अपना ब्लॉग से पहले पब्लिश होने वाले पाठक पन्ना में प्रकाशित हुई थी. उस साइट पर वह कविता अब तो उपलब्ध नहीं है(पर नवभारत टाइम्स के एडीटर महोदय की टिप्पणी आज भी द्रष्टव्य है. ), पर अनुकना साहा ने इस कविता को सहेजकर रखा हुआ था, जो इस संग्रह में स्थान पा गई. यह कविता हमने अपने पोते आरोह के जन्मदिन पर लिखी थी. पहले प्रस्तुत है यह कविता-

गीत खुशी के गाता रहे

तेरे जन्मदिन की शुभ वेला,
लगा बहारों का है मेला।
तेरी खुशियों से खुश होकर,
मौसम भी लगता अलबेला॥

चंदा बरसाता है चंदनिया,
चांदी-सा चमके हर कोना।
चमक-चमककर दमक-दमककर,
सूरज बरसाता है सोना ॥

छम-छम बूंदें बरस रही हैं,
सब कहते हैं आई वर्षा।
मेरा मत है शुभ अवसर पर,
परमपिता का मन भी हर्षा॥

महक रहा है उपवन सारा,
महक रहीं खुशियों से कलियां।
अमराई में कोयल गाए,
गूंज से गुंजित सारी गलियां॥

धरती लाई भेंट धैर्य की,
अंबर में आशा का मेला।
सागर ने मोती वारे हैं,
आई कितनी प्यारी वेला!

यूं ही जन्मदिन आता रहे,
हर वर्ष तुम्हें हर्षाता रहे।
जीवन हो मस्ती से पूरित,
गीत खुशी के गाता रहे॥

लीला तिवानी

आप भी इस साइट को देखकर अनेक नई-पुरानी कविताओं का आनंद ले सकते हैं. ब्लॉग पर कामेंट लिखने के साथ-साथ आप इन कविताओं पर भी कामेंट लिख सकते हैं. अंत में हम अनुकना साहा जी का आभार मानते हुए कहना चाहते हैं-
अनुकना जी, इस अनूठे और अविस्मरणीय संग्रह में हमारी कविता को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

चलते-चलते
अपना ब्लॉग के हम सब साथी मिलकर भी ऐसा कोई अनूठा और अविस्मरणीय प्रयत्न कर सकते हैं. आप अपने सुझाव और रचनाएं भेज सकते हैं. आपकी कविताओं और रचनाओं का स्वागत है.

पुनश्च-
प्रिय पोते आरोह के जन्मदिन पर 2009 में एक कविता ”गीत खुशी के गाता रहे  नवभारत टाइम्स और नवभारत टाइम्सके पाठक पन्ना में प्रकाशित हुई. इस पर नवभारत टाइम्स के एडीटर महोदय की टिप्पणी थी-

”नई दिल्ली से हमारी रीडर लीला तिवानी ने यह खूबसूरत कविता भेजी है, अपनी शुभकामनाओं को उन्होंने यूं बयां किया है..”

तब नवभारत टाइम्स में लेखक का पता भी छपता था. बाद में इसी कविता से ”सदाबहार काव्यालय” की संकल्पना और सृजन हुआ.

आप लोग जानते हैं, कि अब पाठकों के विनम्र आग्रह-अनुग्रह पर तीसरे ”सदाबहार काव्यालय” के शुरु होने की तैयारी चल रही है. आप सभी को सहयोग के लिए कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “यादों के झरोखे से- 23

  • लीला तिवानी

    आपको याह होगा कि सदाबहार काव्यालय- 1 और 2 में ”जय विजय” के भी अनेक साहित्यकारों की काव्य-रचनाओं ने भी स्थान पाया है. सदाबहार काव्यालय- 3 में सभी विषयों पर सभी सुधिजनों की सार्थक, सटीक व सकारात्मक काव्य-रचनाएं सादर आमंत्रित हैं. काव्य-रचनाएं भेजने के लिए पता शीघ्र ही हमारे आगामी ब्लॉग में प्रकाशित किया जाएगा. सादर.

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