कविता

सुनो सजना…

सुनो सजना…

सुनो सजना !
सुरमई शाम ने फिर
शरारत भरी,,,
साजिश की है।

सुनहरे सपने दिखा,
सतरंगी एहसास जगा,
सात सुरों की छेड़ के सरगम,
संग दिल के,,,
दिल्लगी की है।

सुनो साजन !
सांसों ने फिर सांसों में
सिमटने की तमन्ना की है ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed