विविध

अध्यापकीय पीड़ा का प्रकटीकरण

शिक्षकों की पीड़ा को जानने की कहानी द्रष्टव्य है। अगर नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार किसी प्रकार से दुराग्रह से दूर रहें, तभी इन नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त्त बन सकती है। बिहार सरकार को शिक्षकों, खासकर नियोजित शिक्षकों की सुननी चाहिए।
अब तक स्कूल खुला/खुली नहीं, पर बिहार सरकार ऐसे शिक्षकों को हड़ताल तोड़कर स्कूल भेज रहे, भले वहाँ विद्यार्थी रहें या नहीं ! फ़िल्म ‘चॉक एंड डस्टर’ हर सरकारों को देखनी चाहिए !
वर्ष 2006 से ही बिहार में नियोजित शिक्षकों की बहाली शुरू है, किन्तु 13 वर्षो के बाद भी वे सरकारी सेवक नहीं बन पाए हैं, जबकि चुनाव सहित कई आपदाजनित और संवेदनशील कार्यों में उन्हें झोंके जा रहे हैं । अब जाकर सेवाशर्त्त विषयक पूर्ण कमिटी बनी है, किन्तु कार्यान्वयन नील बटे सन्नाटा ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.