कविता

अंध-अविश्वास

कितना लगता है वक्त,
प्रथा को कुप्रथा बनने में?
उतना ही जितना
एक मुंह से एक शब्द निकलने के बराबर
और वह शब्द है – अंधविश्वास।

बिना चर्चा की समझ हो
या बिना समझ की चर्चा।
ना जानने के कारण – मानना भी हो जाता गलत!!

खैर,
ये तो मानो –
अंधविश्वास की तरह ही
अंधअविश्वास भी होता है।

बंद कर आंखें किसी भी बात को ‘ना’ मानना।
और चाहो तो ये भी ना मानो!!
क्योंकि बची कहां शोध की सम्भावना।

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक रिकॉर्ड हेतु चयनित 12 पुस्तकें प्रकाशित, 8 संपादित पुस्तकें 32+ शोध पत्र प्रकाशित 40+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: chandresh.chhatlani@gmail.com डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/