कविता

एक झलक

खनकती चूड़ियों की खनक़ मिले ।
धड़कती धड़कनों की धड़क मिले ।।
               मंजिल की परवाह किसको है…..,
               बस तेरी याद में एक झलक मिले।
ये तो क़ुदरत का करिश्मा है जनाब..,
क्षितिज़ पर भी जमीं से फ़लक मिले।
                 मंजिल की परवाह किसको है….,
                 बस तेरी याद में एक झलक मिले।।
बिछड़े हुए प्रेमियों का आगमन है ..,
क़यामत तक भी एक झलक मिले ।
               मंजिल की परवाह किसको है….,
               बस तेरी याद में एक झलक मिले।।
मंजिल दूर है दूर ही सही खुदा..,
बेशक़ उम्र से लम्बी सड़क मिले ।
               मंजिल की परवाह किसको है….,
               बस तेरी याद में एक झलक मिले।।
अपनों में गिनती करे न करे यें आँखें ,
ख़्वाब के दहलीज़ पर पलक मिले..।
                मंजिल की परवाह किसको है…..,
                बस तेरी याद में एक झलक मिले।।
खनकती चूड़ियों की खनक़ मिले ।
धड़कती धड़कनों की धड़क मिले ।।
                  मंजिल की परवाह किसको है…..,
                  बस तेरी याद में एक झलक मिले ।।।।
— मनोजवम

मनोज शाह 'मानस'

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