कविता

व्यतीत करना छोड़ दें

व्यतीत करना छोड़ दें
जीवन जीना अब तू सीख ले ।
अपने जीवन काल में तू
कर गुज़र कुछ ऐसा कि
हिमालय भी झुक पड़े
और बोले कि तुझ-सा नहीं देखा।।
आपनी इच्छाओं का तू
गला कभी मत घोटना।
क्या पता वही तुझे
तेरी मंजिल तक पहुंचा दे।
अब छोटी – छोटी बातों में
हँसना अब तू सीख ले।
भूत – भविष्य की बातें को
एक तरफ़ तू छोड़ दें।
वर्तमान में ध्यान लगा
और सारा जग तू जीत लें।
व्यतीत करना छोड़ दें
जीवन जीना अब तू सीख ले।

 

– श्रीयांश गुप्ता

श्रीयांश गुप्ता

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