गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

जनता’ दिलगीर है’ शासन अभी गंभीर नहीं
देश है जनता’ का’ नेता की’ ये’ जागीर नहीं |
अंध विश्वास कि सब भाग्य से’ मिलते हमको
कर्म फल जो मिले’ इस जन्म में’ तकदीर नहीं |
तेरे’ आने से’ मुझे मिलता’ है’ आनंद बहुत
चाहता है तो’जा’ पैरों में’ तो’ जंजीर नहीं |
नीति कहती कि विरोधी को’ सजा देना किन्तु
न्याय के साथ खडा होना तो’ तकसीर नहीं |
वीरता की तेरी गुंजार विरोधी दल में
खुंचका शत्रु, तेरे हाथ में शमशीर नहीं |
ठण्ड बेदर्द है’ जल वायु बने हिम प्रस्तर
तू भी’ नाराज तेरा प्यार की तासीर नहीं |
कोई मुझको ये’ बता दे कि भुलाएँ कैसे
याद उसकी सदा’ आती, मिटी तस्वीर नहीं |
नेता’ बेपीर है’ व्याकूल है’ जनता दिन रात
जनता’ मुहताज है’ कंगाल है’ बेपीर नहीं |
रहनुमा ने दिया’ धोखा, ना निभाया वादा
जनता’ को खौफ नहीं और वो दिलगीर नहीं |
सूर्य डूबा है’ सितारे भी चमकने लगे हैं
दूर आकाश में ‘काली’ नया यामीर नहीं |

दिलगीर=दुखी , तकसीर=अपराध
बेपीर =निर्दयी ,खुंचका=घायल, यामिर =चाँद
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !