लेख

दुरुपयोग : भविष्य में विनाश को आमंत्रण

दुरुपयोग शब्द सदुपयोग शब्द का विलोम है, जिसका अर्थ होता है किसी वस्तु का गलत ढंग से किया गया प्रयोग। ऐसा किया गया उपयोग जिसका कोई फ़ायदा न मिले वह दुरुपयोग है। यह मानव की सूझबूझ पर निर्भर करता है कि चीजों का सदुपयोग करना है या दुरुपयोग। जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं जहाँ किसी न किसी का किसी न किसी रूप में सदुपयोग न हो। लेकिन हम अज्ञानता व लापरवाही के कारण चीजों का दुरुपयोग करते रहते हैं।
मानव ईश्वर की सबसे उत्कृष्ट कृति है। बौद्धिक दृष्टि से मानव समस्त जीवधारियों में सर्वोपरि है। मानव का जन्म किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि ” बड़े भाग मानुष तन पावा | सुर दुर्लभ सदग्रंथनि गावा। बड़े भाग्य से मानव का जन्म मिला है इसे व्यर्थ न गंवाएँ। जीवन काल में सद्कर्म और सदविचारों के साथ स्वाध्याय करें, ईश्वर की साधना तपस्या करें। इस जीवन का सदुपयोग है लेकिन मानव कुकृत्यों में समय का निरंतर दुरुपयोग कर रहा है। परिणाम दुखद अंत ।
विषय के संदर्भ में ही हम देखते हैं आजकल वैवाहिक कार्यक्रमों में लोग दावत खाने जाते हैं जहाँ पत्तल में या प्लेट में इतना सारा भोजन रख लेते हैं कि चालीस प्रतिशत भोजन व्यर्थ नाली में चला जाता है, जबकि आज भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जो रात को भूखे सोते हैं। न जाने कितने बच्चे कुपोषण के कारण काल के गाल में समा जाते हैं।
दुरुपयोग का सबसे बड़ा उदारहण जल को लेकर है। जल प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमृत है। जिसके बिना मानव जीवित नहीं रह सकता। विश्व की समस्त सभ्यताओं का विकास जल से ही सम्भव हुआ है। लेकिन आज जितना जल का जितना दुरुपयोग मानव कर रहा है उसका परिणाम देश के कई राज्यों के लोग भुगत रहे हैं।
अन्ततः कहा जा सकता है कि मानव किसी भी वस्तु के प्रयोग से पूर्व एक मिनट यह चिंतन करे कि मेरे द्वारा किए गए इस कार्य का परिणाम क्या होगा। क्या इससे मेरा या किसी अन्य का फायदा होगा। हम अपने धर्म ग्रन्थों में देखते हैं कि सुर-असुर दोनों ने तपस्या की। दोनों को भगवान ने शक्तियां प्रदान कीं, लेकिन राक्षसों ने शक्तियों का दुरुपयोग किया और देवताओं ने शक्तियों का सदुपुयोग।
परिणाम यह हुआ कि राक्षसों का अंत हुआ और देवताओं की विजय। इससे भी हमें यह सीख लेना चाहिए कि दुरूपयोग हमारे ही भविष्य का नाश कर देता है।

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल-dr.svsharma@gmail.com