कविता

देशप्रेम



हिंद के नौजवानों उठो शान से,
अपनी हस्ती मिटा दो वतन के वास्ते….

देशप्रेम का दावा है तुमको अगर,
ख़ून देना पड़ेगा चमन के वास्ते,
ना मुड़कर कभी देखना पीछे,
बस बढ़ते ही जाना वतन के वास्ते।।

जहाँ अर्जुन, भगतसिंह जैसे वीर पैदा हुए,
वहाँ मरना है तुम्हें नाम के वास्ते,
न गँवाओ यूँ व्यर्थ बैठ इस सुनहरे पल को,
मौक़ा मिला है कुछ कर चलो तुम वतन के वास्ते।।

उठो जवान, बढ़ाओ क़दम, थाम लो कमान,
दिखा दो दुनिया को अपनी शान,
झंडा हमारा रहेगा ऊँचा सदा,
जो रहेंगें साथ-साथ हम वतन के वास्ते।।

दुश्मनों तुम न आगे बढ़ाना क़दम,
यह तिरंगा ज़माने में लहरायेगा हरदम,
हमको परवाह नहीं अपने तन-मन की,
मिटा दें अपनी हस्ती हम वतन के वास्ते।।

हिंद के नौजवानों उठो शान से,
अपनी हस्ती मिटा दो वतन के वास्ते।।

मौलिक रचना
नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक