कविता

बहुत याद आती हो!

आँखों के खुलते ही।
भोर में उठते  ही।
तुम से ही रोशनी,
बाहर निकलते ही।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

अनपढ़ भले ही तुम।
सब कुछ अभी भी तुम।
पास भले आज नहीं,
पास ही खड़ी हो तुम।
पचास का हो गया,
बच्चे सा बहलाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

मेरे साथ रह लोगी।
सब कुछ सह लोगी।
बनाकर खिलाओगी,
आँखों से बह लोगी।
मेरे दुःख में माँ तुम,
सो नहीं पाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

छोटी सी गुड़िया तू।
नेह की पुड़िया तू।
अभी भी बच्ची है,
समझ में बुढ़िया तू।
बहन तुम छोटी हो,
बिटिया सी थाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

भागता था मन मेरा।
सहारा मिला था तेरा।
तेरी खातिर थम गया,
रूके जहाँ, बना डेरा।
कल की ही बात लगे,
गोद में चढ़ आती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

काम से था भाग रहा।
बिना देखे काज रहा।
प्रेरणा बन थाम लिया,
तुम से था फाग रहा।
दूर हुईं बहुत आज,
नहीं मिल पाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

प्रातः भ्रमण पर जाता हूँ।
तुम्हें साथ नहीं पाता हूँ।
योग की, सुहानी वेला में,
क्यूँ?उदास हो जाता हूँ।
साथ में नहीं हो अब,
चटाई नहीं विछाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

महसूस मुझे होता है।
मेरा अर्धांग रोता है।
निकट अनुभूति बिना,
रात नहीं सोता है।
गुस्सा बहुत झेला पर,
उठ नहीं पाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

कलम लिए बैठा हूँ।
तुमसे कुछ ऐंठा हूँ।
बच्ची सा सभालती हो,
भले ही मैं जेठा हूँ।
जबरन उठाकर मुझे,
टूथब्रुश पकड़ाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

सब कुछ मिलता है।
इच्छा से पकता है।
खा नहीं पाता मैं,
भले ही महकता है।
सामने नहीं हो आज,
तुम नहीं खिलाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

मोबाइल अब हाथ में है।
लेपटॊप भी पास में है।
पढ़ नहीं पाता अब,
लेखन तेरी आस में है।
इंतजार करता हूँ,
कलम नहीं छुड़ाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

आती नहीं पाती है।
शनि साढ़े साती है।
तुम नहीं साथ आज,
राह नहीं बुलाती है।
मनाने को नहीं पास,
गुस्सा नहीं दिखाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

माता, बहिन नारी हो।
बेटी, पत्नी प्यारी हो।
कोई भी रिश्ता हो,
नर की दुलारी हो।
नारी बिना नर की कभी,
जिंदगी न सुहाती हो।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)