गीतिका/ग़ज़ल

बीमार न कर

भले मुझसे इजहार न कर इकरार न कर,
पर ऐ सनम तुझे कसम है,तकरार न कर!
मैं पहले से हूँ बीमार बहुत ऐ जान जिगर,
मंद-मंद मुस्काकर मुझे और बीमार न कर!
मोहब्बत कर या नफरत कर जो भी कर,
यूँ खबर सनसनी ना बना,अखबार न कर!
खैरात कभी किसी से मैं लेता ही नहीं हूँ ,
गर जाना ही है तो तू जा,उपकार न कर!
वाकिफ़ है नये दौर की मोहब्बत से निर्मल,
मोहपाश में ले के मुझे बेबस लाचार न कर!
— आशीष तिवारी निर्मल

*आशीष तिवारी निर्मल

व्यंग्यकार लालगाँव,रीवा,म.प्र. 9399394911 8602929616