लघुकथा

रमेश बाबू अब भी जमींदार हैं

रमेश बाबू के खेतों को जोतनेवाले बिरजू आज गुस्से में थे, “कहने को जमींदार रह गए हैं, अकड़ कर कहते फिरेंगे, अरबों संपत्ति है, किन्तु जब टैक्स देने की बात आएगी, तो कहते हैं- जमीन तो अभी भी काफी है, किन्तु वहाँ भूसा तक नहीं होती ! इनकम ही नहीं, तो टैक्स कहाँ ? ऐसे बंजर जमीन को किसी ने बिजली विभाग को, कितने ने ईंट भट्ठा को करोड़ों में लीज़ दिए हुए हैं ! ऐसे भी सम्पन्न व्यक्ति हैं, जो अपनी बीवी को भी लीज दिए हुए हैं, खून के छोटे भाई न सही, दूर-दराज के देवरों के हवाले सही ! समाज में ऐसे कथित बड़े लोग हैं, अब भी !” इतना सुनने के बाद भी रमेश बाबू अब भी अपने को जमींदार ही कहते हैं !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.