कविता

माँ

जब मैं चलता हूं हर बद्दुआ बेअसर होती है मां

तो नहीं होती लेकिन दुआ साथ होती है मां

मेरे साथ , मेरे साये की तरह चलती है

माँ की दुआ हर वक्त मेरे साथ चलती हैं

अपने हर दर्द को छुपाकर मुस्कुरा लेती है

वो जो माँं है ना हर किरदार निभा लेती है

अनिल पटेल

बीटेक फूड टेकनोलॉजी पता - नरैनी, जनपद - बांदा (उत्तर प्रदेश)

2 thoughts on “माँ

  • लीला तिवानी

    बहुत बढ़िया

    • अनिल पटेल

      Bhut bhut dhanywad aapka

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