गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

झूठा सही …

झूठा सही, सुकून-ए-दिल पाने के लिए हो।
कोई तो कर वादा जो निभाने के लिए हो।।

हर बार की तरह ही दिखाने के लिए हो।
वादे वफ़ा भी दिल ही दुखाने के लिए हो।

याद आने के तो तुझ पे बहाने हज़ार हैं।
सूरत भी दे जो एक भुलाने के लिए हो।।

दर से मैं तेरे फिर यूँ ही कुछ भूल के उठा।
कोई वजह तो अगले बहाने के लिए हो।।

नज़दीकियों का शौक़ न दूरी का ही मलाल।
अपना मिसाल-ए-इश्क़ ज़माने के लिए हो।

आमद पे किस तरह ‘लहर’ खुद को संभालू मैं।
मुमकिन है तेरा आना भी जाने के लिए हो।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा