कविता

बूँद-बूँद अनमोल

बूँद-बूँद अनमोल
जल की कीमत मत तोल

सोच समझकर नीर बहा
कभी व्यर्थ न इसको बहा

जल बिन न जीवन
जल ही है सब तन मन धन

रे मनुज तू जा सँभल
अमृत से कीमती जल

पृथ्वी की हर हलचल
संभव करता है जल

प्राकृतिक संसाधन सँवार
बहती रहेगी नदिया की धार

बदल जायेगा सारा भूगोल
रे मनुज ! बिना जल

हर साँस संभव करे जल
बचाके नीर सुधारो कल

विद्वान बोले पानी करायेगा युद्ध
इसीलिए जल को रखो शुद्ध

धरती पर जीवन बचाना है
हर बूँद संरक्षित रखना है

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111