विज्ञान

एलियंस हमारे लिए आज भी चिंतनीय प्रश्न है 

अमेरिका की धरती पर भारतीय यंत्र बना दिखाई दिया जिसकी लंबाई किलोमीटर में थी। संबंधी खबरअखबारों में पढ़ने को आती रही।देश विदेश में कई आश्चर्यजनक निर्मित आकृतियां, मंदिर आदि बने हुए देखे गए।जोकि इंसानों द्धारा निर्मित नहीं हो सकते।ये बाहरी दुनिया एलियंस द्धारा निर्मित हो सकते है।शायद इन्हे निर्मित करने का उद्देश्य धरती पर पहचान स्वरूप चिन्ह अकित करने का रहा हो। यूएफओ , एलियंस प्रकाश के माध्यम से आना जाना करते।उनकी रप्तार इतनी ज्यादा होती की वो आज तक धरतीवासियों की पकड़ से दूर रहे है।इसलिए इनके द्धारा बनाई जाने वाली चीजों को हम आश्चर्य के रूप में देखते आए है। इन पर शोध करने की गति भी काफी धीमी है   धरती से परे जिंदगी की उम्मीद बढ़ी खबर पढ़ी। धरती के दूसरे सबसे निकट के सौरमंडल में परिक्रमा कर रहे ग्रह बनार्ड बी पर जीवन के संकेत नजर आए है। इस ग्रह का नाम जीजे -699 दिया गया। ग्रहों की खोज में धरती से बढ़िया जीवन वाला ग्रह नहीं मिला। क्योकि इसमें धरतीवासियों के लिए जो आवश्यकता चाहिए वो सब है। एक जानकारी के मुताबिक वैज्ञानिक वर्षो से ग्रहों और उपग्रहों पर जीवन तलाशने में जुटे है। कई बार अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं का संकेत भी मिला है। अगर वाकई शोधकर्ता खोज करने में सफल रहते है तो  पृथ्वी पर रह रहे मनुष्य काफी उत्साहित होंगे। ग्रह एवं एलियंस खोज वर्षो से जारी है। कुछ दिनों पूर्व नार्वे स्थित मैसेजिंग एक्सट्राटेरेस्ट्रायल इंटेलिजेंस के वैज्ञानिकों ने एलियन को पिछले वर्षों में  भेजा संदेश जिसमे गणना , अंकगणित और ज्यामिति से जुडी सूचनाओं के साथ घडी देखने की तकनीक के अलावा वहां पर पानी या जीवन होने का पता लगाना भी प्रमुख था। देखा जाए तो यूएफओ और एलियंस के वीडियो व् उसपर  आधरित काल्पनिक फिल्मे एवं सोशल मिडिया पर आये दिन यूएफओके वीडियो वायरल होते है जिन्हें कई वर्षो से देखते आ रहे है। प्रश्न सोचने को मजबूर कर देता है की अमेरिका व् अन्य देशों के पास कई तरह की मिसाइल जैसे हवा से हवा में मार करने वाली है एवं तेज रफ़्तार के वायुयान तथा अन्य सक्षम , सशक्त टेक्नॉलॉजी मौजूद होने के बावजूद यूएफओ और एलियन को आज तक क्यों नहीं पकड़ पाये?। भारत में इनके देखे जाने की घटनाएं ज्यादा सुर्ख़ियों में नहीं आई है। क्या इनकी टेक्नालॉजी धरतीवासियो के टेक्नालॉजी से कई गुना ज्यादा है ?अमेरिका का एरिया  51 से एलियंस का संबंध है ?। बरमुंडा त्रिकोण क्या एलियंस का अड्डा है ? उड़नतस्तरी के कई आकार और आकाश में प्रकाश का कई गोलाकार रूप में चमकना और विलुप्प्त होना, खेतों और चट्टानों पर कई किलोमीटर की तरह -तरह की डिजाइन निर्मित होना, मंदिरों की नक्काशी और पेचीदा डिजाइन जो आज के युग में संभव नहीं बनाना आदि कई ऐसी चीजे दिखने को है जिन्हेंदेखकर लोग दांतों तले  ऊँगली दबा लेते है। स्पष्ट तौर पर यह समझ में आज तक नहीं आया की अंतरिक्ष की दुनिया में अनगिनत छोटे बड़े ग्रह है , आकशगंगा, ब्लेकहोल और पृथ्वी  से कई गुना , सूर्य जैसे तापमान वाले विशाल तारे गुरुत्वाकर्षण  से बंधे हुए करोडो वर्षो से कक्ष , धुरी  में अपनी भूमिका निभाते आरहे है। पृथ्वी पर इंसानों की तरह अन्य ग्रहों पर रहवासी हो सकते है , उनका रहन सहन , क्या खाते होगें, उनके परिवार कैसे बनता होगा ? ये सब बातें खोजने के लिए शायद करोडो वर्ष लगेंगे उस दिशा में सभी देशों की चाल चींटी की चाल साबित हो रही है। एलियंस की सही और तथ्यात्मक तलाश और नए ग्रहों पर जीवन की पूर्ण संभावनाएं  खुले तौर पर स्पष्ट  हो ताकि शिक्षा के पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाकर ज्ञानार्जन में वृद्धि हो सके।

— संजय वर्मा ‘दॄष्टि ‘

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच