लघुकथा

इलियाशनामा

अगर गालियों के कारण फ़िल्म हिट होते हैं, तो मेरे गाँव में एक है ‘इलियाश’ , ऐसे तो सब उसे पागल कहते है , पर गालियां वो मस्त बकता है, उसपर एक फ़िल्म बन सकता है । छोटका निर्देशक को इसके लिए आमंत्रित करता हूँ । हाँ, मेरा गाँव ऐतिहासिक है, जब सब एक-दूसरे-तीसरे से उलझते हैं, तो स्वयंमेव ऐतिहासिक गालियां निकलने लगती है । ‘parched’ से भी आगे ! ऐसे में फ़िल्म बनानेवाले राष्ट्रीय पुरस्कृत निर्देशकों को आमंत्रित करता हूँ । हाँ, ज्यादा प्रचार पाने के बाद ही मैं इलियाश और अपने गाँव से परिचय कराऊँगा, दोस्तों । इलू-इलू के चक्कर में आश नहीं मिला, लड़की बेवफ़ा बन गयी, तो लाश-टाइप दिखने लगे और नाम हो गया —‘इलियाश’।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.