गीत-खुशियों की सौगात
*पत्नी पर गीत*
*खुशियों की सौगात*
लेकर खुशियों की सौगात दिल में
पत्नी बनकर तुम जब घर में आई
जिंदगी बिन तुम्हारे अधूरी
तुमको देखा तो यह मुस्कुराई।
लेकर खुशियों की सौगात दिल में
पत्नी बनकर तुम जब घर में आई।
घर की लक्ष्मी तुम देवी का रूप हो
ग़म की छाया में चमकती धूप है।
इस धरा पर नहीं तुम जैसा कोई
पत्नी का ऐसा तो देखो स्वरूप है
सात जन्मों की कसमों लेकर
जिंदगी में खुशी बनकर आई।
लेकर खुशियों की सौगात दिल में
पत्नी बनकर तुम जब घर में आई।
सूना आंगन था, सूनी गलियां लगी
सूना उपवन था, सूनी कलियां लगी
इस सूने घर तुमने को सजाया
महलों के जैसा तुमनें बनाया
घर गृहस्थी संभाला कुछ ऐसे
हर कदम पर हो साथ निभाई
लेकर खुशियों की सौगात दिल में
पत्नी बनकर जब तुम घर में आई।
रवि श्रीवास्तव
रायबरेली, उत्तर प्रदेश