विविध

मेरी दादी की बहन

बाबूजी (पिताजी) कहते हैं, ‘उनकी मौसी अत्यंत स्वादिष्ट सब्जी बनाती थी ।’
किन्तु मेरी माँ जो सब्जी बनाती है, उसकी कोई सानी नहीं ! माँ है, इसलिए बड़ाई कर रहा हूँ, ऐसी बात नहीं है ! क्योंकि माँ के पक्ष में आलोचना भी है, गोकि वह मेरी नानी की तरह सब्जी नहीं बना पाती है।

नानी ‘बेर’ की सब्जी बड़ी स्वादिष्ट बनाती थी और मेरी माँ ‘अमरूद’ की । अमरूद की सब्जी के साथ-साथ इनका चोखा भी स्वादिष्ट लगता है, दोनों खाद्य पदार्थों को बनाने में मेरी माँ को पारंगतता हासिल है।

मूंग की चटनी भी मेरी माँ बहुत करीने से बनाती है । इकलौते पेड़ से इधर एक क्विंटल से अधिक अमरूद तोड़े गए, जिनसे सब्जी और चोखा बनी, तो कुछ सावन-बाँट हुई, शेष सब्जीफरोशों ने इसे सस्ते मूल्य में खरीद लिया।

अमरूद के बदले नकद राशि नहीं, अन्य सब्जियाँ दी जाती ! माँ ‘तूत’ की चटनी भी बनाती है और चिउरा मिलाकर नारियल का लड्डू भी ! माँ और नानी– दोनों ही आलू का दम बनाने के लिए परिवारप्रसिद्ध रही हैं । माँ फूटी दूध से भी खीर बनाती है, तो खीरा की सब्जी भी ! ….और तो और बासी भात का पापड़ भी !

तभी तो—

“माँ तो माँ है,
सार्थ शमा है,
पड़ौस की आँटी–
चाहे हो, कितनी ही सुंदर ?
पर अपनी माँ, बस माँ होती है !”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.