शादी यानी बर्बादी
एक पुरानी कहावत है ‘शादी यानी बर्बादी’ …. लेकिन फिर भी दोनों पार्टी इन्हें अपने गलें में वर मालों के रूप ‘अदला-बदली’ करते है ! सामाजिक दवाब के कारण भी और सबसे बड़ा कारण …’एक रात का आनंद यानी सुहागरात’ के मस्तियों के कारण …. यदि ‘इस रात के आनंद के कारण’ को हम साइड रख दें तो ‘दोनों पार्टी’ ‘गठबंधन’ नहीं बनायेंगे, क्योंकि समाज तब आपको रास्ता नहीं देता हैं ‘आओ राजा, कुड़ी मत खटकाओ ….सीधा अंदर आओ’ ….नामक कहावत को ‘सही करने’ का ! …. लेकिन समाज यह इजाजत जरूर देता ‘रात्रिपाठशाला’ का जब उपयोग करों लेकिन सजा तो ‘9 माह’ बाद ‘दोनों को भुगतना’ हैं ।