सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 4
शिक्षण क्रांति (कविता)
जब तक न हुई थी हरित क्रांति,
सर्वत्र व्याप्त थी विपदा-भ्रांति,
हरित क्रांति से मिली हरीतिमा,
अब करनी हमको शिक्षण क्रांति.
भटक रहे हैं छात्र हमारे,
अनुशासन का काम नहीं है,
सभ्यता को भूल गए वे,
आदर का तो नाम नहीं है.
छात्र पूछ रहे, ”शिक्षा क्या है?”
अध्यापक भी समझ न पाया,
त्रिशंकु से अभिभावक हैं,
अधिकारीगण भी चकराया.
छात्रों को सद्शिक्षा देकर,
उनका भविष्य बनाना है,
इसीलिए शिक्षण क्रांति को,
अपना लक्ष्य बनाना है.
नई-नई विधियां अपनाकर,
रुचिकर पाठ बनाना है,
खुद करके देखो-समझो की,
उनको राह दिखाना है.
शिक्षक का हो ज्ञान असीमित,
उसे न हो जब कोई भ्रांति,
तभी सफल हो सकता शिक्षण,
तब ही होगी शिक्षण क्रांति.
-लीला तिवानी
पुनश्च-
जीवन और विकास के लिए क्रांति की अत्यंत आवश्यकता है. कल 9 अगस्त : अगस्त क्रांति का ऐतिहासिक दिन है. 1967-68 में हरित क्रांति का आगाज़ किया गया. शिक्षण क्रांति की अनिवार्यता महसूस करते हुए नई शिक्षा नीति निर्धारित हो रही है. इस अवसर पर प्रस्तुत है सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 4 के रूप में कविता ”शिक्षण क्रांति”.
मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.
मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.
मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
जय विजय की वेबसाइट है-
https://jayvijay.co/author/leelatewani/
अत्यंत हर्ष की बाय है कि सुदर्शन भाई को दो दिन के ई.एमिनार में सक्रिय प्रतिभागिता करने का सुअवसर मिला. उसमें इन्हें यह ई. सर्टिफिकेट प्रदान किया गया.शेष समाचार सुदर्शन भाई अपने ब्लॉग में देंगे. सुदर्शन भाई, बहुत-अहुत बधाई.
पुनश्च-
जीवन और विकास के लिए क्रांति की अत्यंत आवश्यकता है. कल 9 अगस्त, अगस्त क्रांति का ऐतिहासिक दिन है. 1967-68 में हरित क्रांति का आगाज़ किया गया. शिक्षण क्रांति की अनिवार्यता महसूस करते हुए नई शिक्षा नीति निर्धारित हो रही है. इस अवसर पर प्रस्तुत है सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 4 के रूप में कविता ”शिक्षण क्रांति”. यह कविता लगभग तीस साल पहले लिखी गई थी.
किन्तु नई शिक्षा नीति ने ‘शिक्षा’ की रीढ़ ‘शिक्षकों’ के स्टैंडर्ड वेतन और पेंशन के बारे में नहीं कहा ! यह भ्रम नीति है !
प्रिय सदानंद भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. नई शिक्षा नीति ने ‘शिक्षा’ की रीढ़ ‘शिक्षकों’ के स्टैंडर्ड वेतन और पेंशन के बारे में नहीं कहा ! यह भ्रम नीति है. अभी तो नीति बननी शुरु हुई है. धीरे-धीरे नीति में सुधार-विकास होता रहेगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
NEP 2020 Questions: नई शिक्षा नीति पर 7 बड़ी उलझनों को पीएम मोदी ने किया दूर, जानें हर बड़े सवाल का जवाब
National Education Policy : पीएम ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति को लेकर हर बड़ी उलझन पर स्थिति स्पष्ट की, वो उलझन चाहे छात्रों के माता-पिता के मन में हो या शिक्षकों के दिल में या फिर शिक्षाविदों के दिमाग में। पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति की दरकार, इसमें 5+3+3+4 के नए सिस्टम से लेकर छात्रों को कोर्स में एंट्री-एग्जिट की छूट देने जैसे विषय पर उठ रहे सवालों के साफ-सुथरे जवाब दिए।