संस्मरण

माननीय राज्यसभा उपसभापति से पूर्व मुलाकात

एक संस्मरण…. हरिवंश सर को बधाई ! फरवरी 2007, राँची में हुई थी मुलाकात… मैं तब फ्रीलांसर था, राजस्थान के एक साप्ताहिक में काम कर चुका था तथा कुछ अंकों का सम्पादन किया था । दैनिक हिंदुस्तान के पटना कार्यालय में 3 माह कार्य किया है । इसी क्रम में अत्यल्प समय के लिए BBC के लिए कार्य किया । दस राज्यों के पत्र-पत्रिकाओं के बिहार सवांददाता रहा हूँ । आज और दैनिक जागरण में प्रूफिंग किया है । आकाशवाणी, पटना में भी ट्राय मारा है।

पटना में राजेन्द्रनगर रेलवे स्टेशन के सामने प्रभात खबर का कार्यालय था । बाहर से आकर्षक लगता था, भीतर वैसा नहीं था । तब तक हर विधाओं की रचनाएँ और विविध समाचार 500 से ऊपर छप चुकी थी । राजेंद्रनगर स्टेशन पर 50 पैसे में प्रभात खबर मिल जाती ! पेज ज्यादा नहीं होते थे, किन्तु सम्पादकीय के बाद वाला पेज को विद्यार्थी के लिए स्पेशल बनाया जाता ! इनसे श्री हरिवंश नारायण के प्रधान सम्पादकत्व की जीवंतता तो देखी ही जा सकती थी, किन्तु पेपर आकर्षक नहीं था, परंतु खिंचाव का कारण स्थायित्व रोजगारी में नहीं होना था । तब एक तो गरीब पेपर, दूजे बिक्री नहीं होती थी।

एक दिन मेरी नज़र ‘प्रभात खबर’ के ‘लोगो’ पर पड़ा, जो अर्द्ध सूर्य के सामने उड़ती चिड़िया लिए है, किन्तु यह ‘प्रभात खबर’ के टॉप हैडलाइन व टाइटल के नीचे प्रिंट होता था, जो मुझे अच्छा नहीं लगा, क्योंकि एक तो लोगो है, जो ऊपर होनी चाहिए, परंतु थी टाइटल के नीचे ! मैंने स्थानीय संपादक से इसकी मौखिक और लिखित शिकायत की । प्रथमबार ही रिस्पांस मिला, किन्तु कहा गया कि इस संबंध में हरिवंश सर से बात करनी होगी ! संयोगवश, फरवरी 2007 में रांची जाना हुआ। वहाँ विहित कार्यों से फ़ारिग होकर ‘प्रभात खबर’ का कार्यालय गया। संयोगवश हरिवंश सर से मुलाकात हो गयी । ‘लोगो’ के स्थान के बारे में चर्चा की, वे तो अचानक ही चौंक पड़े, चाय-चुकुर लेने के बाद सर जी ने कहा, इसे निश्चित ठीक किये जायेंगे ! उन्होंने एक नम्बर मुझे दिया कि अगर विस्मृत हो जाऊं, तो फोन करेंगे ! मैंने प्रभात खबर में छपने के लिए कई आर्टिकल्स भी दिए, जो कालांतर में छापा भी ।  उसके बाद सर जी से मुलाकात एक पुस्तक मेला में हुई, जहां स्मरण दिलाने पर उन्होंने कहा, अब ‘लोगो’ ‘प्रभात खबर’ टाइटल के ऊपर छपने लगा है, जो अबतक इसी ढंग से जारी है।

सिताब दियारा (बलिया) में दो ‘नारायण’ ने जन्म लिया है, एक थे, जयप्रकाश नारायण और दूसरे है– हरिवंश नारायण । जयप्रकाश तो कायस्थ थे और हरिवंश नारायण राजपूत ! पत्रकारिता में सिर्फ हरिवंश व हरिवंश नारायण रहे, किन्तु 2014 में जदयू की ओर से रास जाते ही माननीय श्री हरिवंश नारायण सिंह हो गए । आज 9 अगस्त को राजनीति के मात्र थोड़े दिनों में ही राज्यसभा के उप सभापति भी हो गए ! बहुत-बहुत बधाई, हरिवंश सर ! राज्यसभा में एक हिसाब से उपसंपादक के तौर पर होने के लिए भी बधाई !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.