गीत/नवगीत

भादों की बारिश में

छिपी बहुत सी गहरी बातें,
भादों की बारिश में।
वसुंधरा की धानी चुनर से,
निसर्ग हुआ नयनाभिराम।
शीतल आर्द्र पवन ने देखा,
गगन हुआ घनश्याम।
दादुर ने कुछ सुना ही दिया,
भादों की तारीफ में।
छिपी बहुत सी…।

लहरा उठे हैं आँचल,
इठलाती हुई नदियों के।
तन-मन प्रफुल्लित हैं आज,
पहाड़-पर्वत घाटियों के।
झूमना याद है तरुवर को,
भादों की हर तारीख में।
छिपी बहुत सी…।

याद करती हैं माँ-बहनें,
डूबकी लगाए सरोवर-घाट।
भीगे छुटपन संग नवयौवन,
गाँव-गली और रद्दा-बाट।
मातृधरा ने बुलाया उन्हें,
भादों की दूज-तीज में।
छिपी बहुत सी…।

— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.