मुक्तक/दोहा

कुछ प्रासंगिक दोहे

भाई से भाई लड़े , मन में रखता घात ।

जैसे ही मौका मिलेे , दे देेता है मात ।।

महंगाई से क्यों डरें , जीवन भर का साथ ।
नेता जी को क्या कहें ,भाषण दें दिन रात ।।
संतोषम सुख है बड़ा  , माया तज दो यार ।
पूण्य काम में आयेगा , माया है बेकार ।।
धर्म प्यार सिखलाता है , नफरत करो न भाय ।
ना जाने किस मोड़ पे , कौन काम आ जाय ।।
पैसा ही सबसे बड़ा , पैसा ही है प्यार ।
ईश्वर अल्ला पैसा है , बाकी सब बेकार ।।
रंगमंच यह दुनिया है , लोग हैं कलाकार ।
डोर उसी के हाथ है , उसकी है सरकार ।।
दया करो सब जीव पर , सब जीव एक समान ।
हिंसा बड़ा गुनाह है , लाओ ये फरमान ।।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।