कविता

माँ भारती की लाज

चरणों   में  अर्पित  कर  देंगे
तन,मन,धन,जीवन,आज सुनो….
हो  जाएं  प्राण आहूत  भले
जाएं  ना  भारती  लाज  सुनो…..
यह  शस्य  श्यामला  मातृभूमि
कण कण हमको अति प्यारा है
इसकी  आज़ादी  की  खातिर
वीरों   ने   जीवन   वारा   है,
डट  जाना   है   सीमांओं  पर
हाँ ,छोड़ छाड़ के काज सुनो….
हो  जाएं  प्राण  आहूत  भले
जाएं  ना  भारती  लाज सुनो….
अपनी मिट्टी की खातिर हम
अब शूली पर भी चढ जायेंगे
तज  देंगे  विदेशी  लोलुपता
निज  आलंबन  अपनाएंगे,
आजादी  का  पावन दिन है
ले उठा शपथ सब आज सुनो….
हो  जाएं  प्राण आहूत  भले
जाएं  ना  भारती  लाज  सुनो….
नित नित हम आविष्कार करें
शत्रु  से  हम  प्रतिकार  करें
प्रतिभाएं  देश  में अदभुत है
पहले  इनको  स्वीकार करें,
भारत  माता  के  शीश  पुनः
शोभित होगा नव ताज सुनो….
हो  जाएं  प्राण  आहूत भले
जाएं  ना  भारती लाज सुनो….
चरणों  में  अर्पित  कर  देंगे……
तन, मन,धन,जीवन आज सुनो..

— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com